Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 307
________________ गीत-श्रादि २६५ ] - - - पत्र क्रमांक ग्रन्थाङ्का विशेप ग्रन्थनाम कर्ता संख्या | ३५७५ रोहिणीस्तवन श्रीसार | रा०गू० २०वीं श. २६० | २६४ व०१६वीं श. ४४ वां ७५८ ११२२ (३८) लखपतिराय रायधणजी पृथ्वीराज के कवित्त ११२२ | लाखाफुलाणीना कवित्त राज० ८३वां २८६३ हीरकलश वर्तमानादि चौविसी नमस्कार पद्य विचारस्तवन रागू0 १७वीं श ४-५ , , ७७ वां १२३ । (१६) M ७६६ ७६७ ७६२ ११२२ विजयप्रभसूरिनी विजय रा०१५वीं श ४ था (६) वृद्धि साणी छद ८६७ विनायकीटीको तथा केसोदास सं०७० " | ३ जसराजनो छद ३५४६ गुण विवेकवाररी | वराटीया में (१) निसाणी लिखित । ३५५५ | विवेकवाररी नीसाणी | केसोदास ११४(१८) १२१ ३५५५ | विवेकवाररी नीसाणी १४५ वा (२२) ३५७३ गुण विवेकवाररी ३० वां जीर्ण प्रति । नीसाणी ७६८ ३६६६ ३६ विवेकवाररी नीसाणी ७६६२ | वियोगवेली १७६- मानपुर में लिखित । १७२ विविधपदसग्रह चत्रभुज अधा- रावण फुटकर रूजी परसजी पत्र ३२ कीताजी सोमजी माधौ जगनाथ आदिअनेककवि ७७१ | ३५७३ विपयस्तवन रा०गू० , ७० वा जीर्ण प्रति । ३५७५ | विरहमानस्तवन ध्रमसी , २०वीं श. ३६१ J३६५ (८३) ११ ७७० २९

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