Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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२६४ ]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
(२)
३५७५ युगादिस्तवन सहजकीर्ति रा०गू० २०वीं श. १०२(२४)
१०४ २२४५ | रतनविजयजी को कवित्त खुसराम त्राहि० " १ १८ | रमकझमकवत्तीसी सवाई प्रताप हि० १६वी श ३-५ रचना स० १८५१
| सिंहजी ७४० १८३६ रसिक समीर
| रसिक सुरती मास ब्रह्मानन्द | रा०गू0 | १७४४ / २ प(ख)डनगरमेलिखित ७४१ २२४४ | राजसिंघजी को कवित्त
ब्राहि० २०वीं श. १ ११२२ | राजाराउविरदावली
व्र. १८वीं श. ६३ वां (४७) ७४३ ३६८६ राजीमतीमंगल जिनदास
कर्णालनगर मे लिखित । ८०
पद्य है। ७४४ | १८३६ राजुलपच्चीसी
श्रानंदचद(?)| ब्रज | १८३२ / १११- गुटका (१५) ७४५ | ३६८७ राजुलपच्चीसी
लालचद रा० १६वीं शE | ८६६ | राधाकृष्ण संवाद
व० १६०३ / ५ | ११२२ | राधाकृष्ण संवाद
रा० १८वीं श. ११-१३ | (१६) | ३५४७ रामचदप्रजीरो सपखरो
५ , ८५ वां ८०२ रामरक्षास्तोत्र ११२२ | रामाभैरव जेसकवि
वां का छन्द ७५१ | १८६८ | रायसिहजी का
व्रहि० १८वीं श १-३ गुटका (६) | गीत आदि | ३४८४ रावणसंवाद
लावण्यसमय ११२२ | रावन मदोदरीसंवाद
१६वीं श १३-१४
७४८
"
१८६४ १६वीं श
"
७५०
.
७
रा००
७५३
७५४
१८८६
(१२)
३५४३
रासको रेखतों | सवाई प्रताप | हि
सिहजी रेटियाससमाय
| रतनवाई रागू०/ १८८२ २-३ | स. १६३५ मे मेडता
नगर में रचित । रोहिणीतपमहिमास्तवन श्रीसार रा० १६वीं श. १६६ वां सं० १७०० मे
रचित, जीर्ण प्रति ।
७५६
३५७३

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