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२६०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
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क्रमांक प्रन्याङ्क
लिपि- __कर्ता प्रन्थनाम
पत्रभाषा
विशेष
| समय | संख्या पार्श्वनाथदेसतरीछंद राजकवि
रा०गू० १८वीं श. २ पार्श्वनाथदेसंतरीछंद
रा० १९वीं श८६-८८ जीर्णप्रति । | पार्श्वनाथदेसतरीछंद
१८१७ | ११-१२ वरांटीया मे
लिखित । पार्श्वनाथरागमालामय | जयविजय | रा. गू, १८वींश. ३ स्तवन| पार्श्वनाथराजगीता . उदयविजय-
| " "
१७७० | ५३ वां
१७७° | २२ वाचक | पार्श्वनाथ स्तवन समयसुन्दर
"१६वीं श६५-६६
| पाबुजीरी निसाणी
राज.
"
१-६
पाखुधायोलोतरा दूहा
,
१८वीं श १-५ | अपूर्ण ।
३५७५ | पुण्यछत्तीसी
रागू०२०वीं श.८१-८५ सम्वत् १६६६
मे सिद्धपुर मे
रचना। ३५७५ | पुण्यप्रकाश स्तवन उ०विनयविजय " " | १२२- | रानेर मे सं १७२६
| में रचना। २१६१ पुष्कराष्टक खुसराम वहि० १६१४ | कर्ता ने कृष्णगढ़
मे लिखी। २२६३ | पृथ्वीसिघजीसुजस । जयलाल " | १६३१ | ८ | कर्ता के हस्ताक्षर पच्चीसी सटीक टी० स्वोपज्ञ
युक्त पत्र १ से ४ मे मूल पाठ है तथा पत्र ५ से ८ मे
टीका है। ६७६ | ११२२ | पृथ्वीराजसिंघ नो जस | लक्ष्मीकुशल | ६८० | २२३६ पृथ्वीसिंह का शिकार
बहि०२०वीं श १ ६८१ ३५७५ | पैंतालीस आगमसज्झाय धरमसीपाठक | रागू० " | १३८- | पैंतालीस सूत्रों के (३१)
१४१ | नाम और उनकी
श्लोक संख्या बताई है। जैसलमेर मे रचना।