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२४६ ]
क्रमांक प्रथाक
१७२ | १६४६ | रोहिणी कथा १६२६ | लघुप्रवन्धसमह
१७३
१७४ २१५८ वंकचूलकथा गद्य
१७५
५१७
१७६
मन्थनाम
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
१८४
१८५
वरदत्तगुरणमंजरी कथा
१७७ १५२४ वसुदेव हिन्दी प्रथम
खड
६७७ वरदत्तगुणमंजरी कथा
१७८ २१४३ विक्रमचौचौलीरी बात
(३)
१७६ २३७५ | विक्रमपचदंडकथा (४) १८० ३५७३ | विक्रमशनीसरवारता (५६)
१८१ १६५६ विक्रमादित्योत्पत्तिकथा १८२ १६५१ विनोदकथा
१८८
१८६
१८३ | २६६२ | विनोद कथा संग्रह सावचूरि पचपाठ
१७१५ वीरभद्रकथा
- १४३ | बीसलदेव सूपरसिकार (४) रीवात
१८६३९४३ | चैतरणीव्रत कथा ४२ वैष्णव भक्तों की
१८७
प्राचीन वार्ताओं का
सग्रह
४८१ शान्तिनाथचरित्र गद्य १७१६ | शान्तिनाथ चरित्र
कर्त्ता
कनककुशल
""
सामलदास
भाषा
संस्कृत १७वीं श.
99
राज० संस्कृत
राजशेखरसूरि
"
राज०
29
लिपि -
समय
संघदासगरि प्राकृत १६वीं श| १२६
2
33
राज०
| १५वीं श . ५८
गुर्जर १६०६
राज०
संस्कृत १७वीं श
१६वीं श. १८
१७३४
६
१८४३
भावचन्द्रसूरि | संस्कृत
विचन्द्र
१८६० ७-८
१६वीं श.
" ,
"
"
पत्र
संख्या
"
"
१८६०
१८८१
संस्कृत ० हि० | १६००
६
१६
६
७
४००
१७६२ १७०२ "
'विक्रमप्रवन्ध, भूयड
प्रबन्ध, वीजपुर प्र०
आदि प्रबन्ध है ।
११७
६६
विशेष
-
सवत् १६५५ में मेडता मे रचना |
२४० से | सिंहासनबत्रीशी के
१७६
अन्तर्गत ।
१५१ -
अपूर्ण । जीर्ण
१५३
प्रति ।
सूरति बिन्दर मे लिखित |
१८-२३ ६-१३ | गद्य ।
संवत् १६५५ मे मेडता मे रचना | पूनानगर मे लिखित | किंचिदपूर्ण |
गद्य ।
पद्मपुराणगत । गुटकाकार है । दो पत्र प्राप्त | सं०
पत्र ३६३ में लिखा है ।
आगरा में लिखित | रचना सं० १५३५ ।