Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 242
________________ [ २३० क्रमांक ग्रन्थाक ५५० ग्रन्थनाम ५५७ ५५१ | ३३८० स्थूलभद्रएकवीसउ स्थूलभद्रएकवीसउ ५५२३५७३ (१६) ५५३ | ३५७५ | स्थूलभद्ररास (५६) ५५४ | १५६५ स्थूलभद्रशीयलवेली ५५५ | २०२३ स्थूलभद्रकोश्याभास (२) ५५६ ६२५ | स्थूलभद्रगुणरत्नाकर २२२४ | सौभाग्यपंचमी चौपाई जिनरंग छन्द १८८६ स्नेहबहार (५) ५५८ | २३७६ | स्नेहलीला (६) ५५६ ८६० स्नेहलीला (पद्य) ५६० | १८८६ स्नेहसग्राम (११) ५६१ | ३२३४ स्वांतइर्णचौपाई राजस्थान पुरात्वान्वेषण मन्दिर लिपि - समय रा०गू० १८वीं श. १७ सं० १७३८ में रचित । १७वीं श. ३ सं० १५५३ मे रचित । १६वींश ४६-५१ स० १५५३ मे ५६२ १८८६ इमीररासो (१८) ५६३ २३७४ | हरचंदपुरी (१०) कर्ता लावण्यसमय " उदयरतन वीरविजय नयसुन्दर सहजसुन्दर सवाई प्रताप सिंहजी रसिकराय ५६४ | ३५७३ | हरिकेशीचरित्रनवरस कनकसोम (१३) रास ५६५ | ३४६१ हरिवलचौपाई भाषा लावण्यकीर्ति " دو " "" "" "" सवाई प्रताप-हि० सिंहजी गोदडदास रा०गू० १८८१ हि० १६वींश. क्र० हि० | १९११ व्र० रा० 31 २०वींश २६४ २७७ 22 १६वीं श. 39 पत्र संख्या १८७१ ११ र० स० १७६२ । १७३४ २-३ १८११ १७वीं श १८५६ रा० गू० १६वीं श ३४-३६ १६वींश ३५-३८ १-१५ C. 1000-4-d>< २५ | मानकुत्रा मे लिखित । रचना सं. १५७२ । १६ - २३ रचना स. १८५३ । २० विशेष रचित । जीर्णप्रति । १२ ५५-५६ रचना सं. १८५२ । ३० सं० १८०२ में रचित । २८ गुटका । सं. १६४० 'वइराट नगर में रचित | जीर्णप्रति । पत्र २८वां नहीं है । सम्वत् १६७१ राउल श्रीकल्याण शासित जेसलगिरी मेंरचित ।

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