Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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२२७ ]
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कमांक अन्याङ्क
प्रन्यनाम
प्रन्यनाम
कर्ता | भाषा
लिपि- पत्रसमय / संख्या
विशेष
५०७ | ३६६१ | संग्रहणीचोपाई | मतिसागर | रागू० १८वीं श. १५ । सं० १६७५ में
रचित | ८४६ सदाशिवव्याह महाराउलखपति ब्रहि० १८५७ ३३ रचना स९१८१७।
कर्ता कच्छनरेश है।
भुजनगर में लिखित। | सदयवच्छसावलिंगारी
रा० । १८६१ / ४ राजपुरा में लिखित ।
वात
,
१६वीं श. २२-२६) रोहिठ में लिखित ।
| जीर्ण प्रति। १८वीं श. ११
,
सदयवच्छसावलिंगारी वारता गद्य सदयवच्छमावलिंगारावात सदेवंतसावलिंगानी वात (पद्य) सदैवच्छसावलिंगारी वात सदैवच्छसावलिंगारी बात दूहा सदैवच्छसावलिंगारी वात दूहाबंध (गद्य पद्य) | सदैवच्छसावलिगारी | कविजन
३५से४७ १३३- कंटालिया में
लिखित। सरसा में लिखित।
वार्ता
| २०६३
३९०८
२०१४ | सनत्कुमारचक्रीरास लब्धिविजय रागू० १८वीं श १०२ | रचना सं० १८७५॥
लेंबोदरगांव(निवपद्र)
में लिखित । २१८५, सनीसरजीरीकथा जोरावरमल , १८८० सं० १८२० में नासचोपाई
पुर में रचित । कालू
में लिखित । समकितकुलकचोपाई सम्यक्त्तकौमुदीकथारूपऋषि
१८८६ ४२ आणदपुर में लिखित चोपाई
स० १८८२ में अजी
मगज में रचित । | समायिकवत्रीसदोष हीरकलश (१) १७वीं श. ६५-६६/
विवरणकुलकचोपाई । ८६५ | सारसिखामणरास संवेगसुन्दर , १८वीं श. ६ । सं० १५४८ में मानु
षपुर में रचित।
२८६३ | (३०)
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