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जैनप्रकरण
१९१ ]
कमांक, प्रन्थाङ्क
ग्रन्यनाम
लिपि- पत्रभाषा
| समय | संख्या
विशेष
८६४
| समयसारनाटक बनारसीदास हि० | १७५८ ३१ | ३६१८ समयसारनाटक
व्र.हि. १८वीं श. __५१ सं. १६९३ में आगरा
में रचित । समयसारनाटका मू.बनारसीदास ७० | १८०४ १४४ व्यालपुर (भुज) .. सस्वबक स्त० राजमल्ल
में लिखित । समाधितंत्रवालावबोध मू कुदकुद(१) मू.सं.बा. १७१२ ८४ सहित
वा. पर्वतधर्मार्थी रा. गू. समाधितंत्र वालावबोध "
___/अलीगहुरपातशाह सहित
के राज्य में अंबइटा
में लिखित । साधुविधिप्रकाश क्षमाकल्याण
क्षमाकल्याण सं० -१६ जैसलमेर में लिखित। १८७६ सिद्धपचाशिका सस्तवक मू. देवेन्द्रसूरि प्रा. स्त.
रा.गू. | २८६३ | सिद्धांतवोल . सूक्ष्मार्थविचारप्रकरण मू. जिनवल्लभ
| यवनपुर-स्थित (सार्थशतक) सटीक टी० धनेश्वर टी. सं.
कमलसयमोपाध्याय ने देविणीनामक लेखक द्वारा
लिखाई १५० | १० | स्थविरावलिकावचूर्णि
| सं० १७वीं श. ४
1-8३
५४
यव