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रास
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| लिपि- पत्रक्रमांक ग्रन्थाङ्क प्रन्थनाम कर्ता | भाषा
विशेष
समय | संख्या ३६२- २१८० रत्नपालचौपाई रघुपति रागू०
सं. १८१६ में गजसिंघजी के राज्य में कालूग्राम मे रचित कर्ता ने अपना नाम रुघनाथ भी लिखा है।
विक्रमपुर में लिखित । ३६३ २२३० रत्नपालचौपाई
" " १८६४ ३३
स.१८१६ मे गज सिंघ के राज्य में
कालूग्राम मे रचित । ३६४ ३८६४ | रत्नपालचौपाई कनकसुन्दर । " १८२१ | १३ | कल्याणपुर में
लिखित । सवत्
१७६७ में रचित । ३६५ | ३८६५ रत्नपालचौपाई मोहनविजय " १८१२/ ५४ | वैराटनगर में
लिखित । संवत् १७६० में पत्तन में
रचित । ३६६ | ३८६६ रत्नपालचौपाई हर्षनिधान | रा० | १८१२ | स १८१६ में कालू
ग्राम मे रचित । ३६७ / ६३६ | रत्नपालरास
सुरविजय
३२ धोलका में लिखित ।
सं. १७३२ में ब्राह्म
णपुर में रचित । ३६८ | EEE: रत्नपालरास
रागू० | १८३० २४ सम्वत् १६३२ मे
बरहानपुरमे रचित । भुजनगर में
लिखित । रत्नसार रास सहजसुन्दर " १७वीं श ३६-४६ सवत् १५८२ में
रचित । रत्नसार रास
१८वीं श १५ संवत् १५८६ (?) मे
रचित । २०३६ | राजसिंहरतनवती पंच | प्रभुदास
श. १६ सवत् १७५५ मे कथा रास
वटपद्र में रचित । २८६३ | राजसिंहरत्नावती सिं । हीरकलश " १६१९७१-८४ सं. १६१६ में झमेऊ (३८) (संधि -
ग्राम में रचित । रचना के चौथे दिन में लिखित ।
१७७६
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१८वीं श.
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