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१४० ]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
। कर्ता
भाषा
लिपिसमय संख्या
विशेष
१५४४ रघुवंशमहाकाव्य जनार्दन । सं० १६वीं श.
लघु टीका २६६ रघुवंशमहाकाव्य | मू. कालीदास मू. सं. १७नीं श. टिप्पणी सहित
टी.रा.गू. । १६६५ रघुवंशमहाकाव्य साव- मू. कालीदास स० १६वा श
चूरि प्रथम सर्ग सुमतिविजय
१७
२
२१५
२०८ | ३३५७ रघुवशमहाकाव्य सावचूरि मू कालीदास " | १६६० | २०६ ४७० रघुवशसर्ग परिचय
" १७] श २१० | २०६८ | रसिकमनमोदिका सुखदान व्र.हि. २११ २४६३ राक्षसकाव्य
कालीदास सं० २१२ १६६७ | राक्षसकाव्य सटिप्पण मू 'कालीदास | १८७५ | ३०२८ | राधिकानखसिख वर्णन केशवदास व्र.हि.
न.हि१८वीं श २१४ | ३६८९ रामाज्ञा
तुलसीदास
१४वीं श. १८४७ रामाज्ञासुगुरणप्रबन्ध | तुलसीदास
१८४० २१६
रामकृष्णकाव्य पंडित सूर्य | स० १६वीं श ८६१ रामचरितमानस
तुलसीदास क्र. हि १८६५ रामचरितमानस
तुलसीदास १२३४ रामचरितमानस
तुलसीदास लंकाकांड ३०५५ रामायण बालकांड | वाल्मीकि
वीं श. प्रथमसर्ग रामायणबालकांड वाल्मीकि प्रथमसर्ग लखपति (कक्छनरेश) कुअर कुशल व्र।
मंजरी नाममाला २२३ ११२१ लखपतिमनरी नाममाला कु अर कुशल व्रज.
१८८५
कवित्तवध पत्र ३,४ तथा २३ वा अप्राप्त।
१६वाश.
७
SSE
१३
२२४ १८६३ लगनपच्चीसी
जगदीश भट
अ.हि. १८५६
१२ सं० १७६४ में रचित
कच्छनरेशवंश वर्णन १३ भुजनगर मे लिखित ।
भुजनरेश के वश
वर्णनमयकृति है। १८ गुटका सवाई जय
नगर मे लिखित । सवाई प्रतापसिंहजी
की आज्ञा से रचना १६ | प्रथम पत्र नहीं है।
२२५, ५१० लटकमेलकप्रहसन
| शखधर
स० १८वीं श.