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रसालंकारादिशास्त्र
[ १४७
लिपि
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कत्ता
भापा
पत्रसंख्या
विशेष
समय
४५
३० | २२४६ खुसविलास खुसराम वहि० १६०८ | ७१ रचनासं०१६०४,ग्रन्थमगनीराम
कार ने अपने पुत्र बल देव के लिए यह प्रति
कृष्णगढ़ में लिखी। २८३ चन्द्रालोक
जयदेव सस्कृत १६वीं श. २६ २४७६ चन्द्रालोक
१९२४ १३ | कृष्णगढ में लिखित २४७५ चन्द्रालोकटीका महादेव , १७४८ १२ | १६६६ चन्द्रालोकसटीक त्रिपाठ मू० जयदेव , | १६०१ /
टी भट्टाचार्य जलवयशहनशाहइश्क
जयकवि वहि० २०वीं श, १६ | अपूर्ण ३६ २२८६ | जलवयशहनशाहइश्क | जयकार |, १६४५ २१ सं० १६४५ मे प्रकाशिकाटीकायुक्त | टी-स्वोपज्ञ
कृष्णगढ़(हरिदुर्ग)मे रचित, स्वय कर्ता
द्वारा लिखित । दृष्टिनिरूपण भगवद्दास , १८वीं श. ११ । ग्रन्थकारकृत शृगा
रसिधु का हवा
कल्लोल। २३४३ नायकभेटवर्णन
,२०वीं श६ प्रश्नोत्तर परतापपचीसी शिवचद
अजमेर मे लिखित। २५५५ पिंगलशास्त्र हरिराम
१६२८, १६ छंदरतनावली,
स. १७६५में रचिता ३२६६ भावशतक
नागराज सं० १८३७, २२ | २२३८ | भापादीपक हरिचरनदास बहि० १८८६ १८ कृष्णगढ में लिखित.
स०१८४४ मे रचित। ४३ ८५ भापाभूपन
जसवतसिह , १८५६ | १८ ध्राग में लिखित । ४४ १३० भाषाभूपन
हवीं श. ६-१०
२३३७
कृष्णगढ मे लिखित
४५ । २१५५ भाषाभूपन १६ १८४८ | भापाभूपन ४७ २२६४ भापाभूपन ४८ २६८३ रघुवशादि महाकाव्य
दुर्घटानि । १५४० रसतरंगिणी
भूपण
1208 हरिचरनदाम , १९०५/ १५ राजकुडकवि | स०१८वीं श. ३३ भानुदत्तमिन्न, वीं श. २३