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१४६ ]
राजस्थानपुरातत्वान्वेषण मन्दिर
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क्रमांक ग्रन्याङ्क
ग्रन्यनाम
कर्त्ता
भाषा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेष
___ ८६
१४ | १५४३ | कविरहस्य (अपशब्द | मू. हलायुध | सं० १६६३
भापाख्य) टीका सावचूरिटी रविधर्म १५ / २२३४ कविवल्लभ हरिचरनदास वहि० १९८४ ____७३ | स० १८३६ मे रचित १६ । २२६७ | कविवल्लभ हरिचरनदास " १८८६
१२७ / स० १८३६ मे रचित
कृष्णगढ़ में लिखित । १७ ४८२ कवि शिक्षा
अमरचन्द्र स० १७वीं श. ११० १८ । २४८२ काव्यकल्पलता अमरचन्द्र
" १७६६ १६ ३६३६ । काव्यकल्पलतावृत्ति अमरचन्द्र | " १६वीं श. ४४ दधिपद्रपुरमें लिखित । २० १८५१ । काव्यप्रकाश सटीक मू मम्मट
.१५ | अपूर्ण। २१ १६७५ । काव्यप्रकाशसकेत मम्मट २२ . ११२६ | काव्यसिद्धांत
सूरतमिश्र त्राहि० " २३ २२६३ | काव्यसिद्धांत
सूरत मिश्र
१९२५ १६ | कृष्णगढ मे लिखित
| स. १७६८ मे रचित। २४ | ११२८ | काव्यसिद्धांत सार्थ सूरतमिश्र
स.१७६८ मे रचित, महाराजकुमार लखपतजी (कच्छ राजपुत्र) के पठनार्थ
लिखित । ५१३ | काव्यालंकार (शृ गारा- वलदेवस १८वीं श ४
लंकार) कुवलयानन्द
अप्पय्यदीक्षित "१७वीं श ७१ २७ । ३४२२ । कुवलयानन्दटीका वैद्यनाथ (अलकारचन्द्रिका)
स १६०४ मे रचित २१८७ओमविलाम
खुमराम वहि० १६०८
६५ | साढेछासठ पत्र प्रथ(मगनीराम)
कार के पुत्र बलदेव द्वारा लिखित, अन्तिम भाग ग्रथकार द्वारा लिखत स्वकीय पुत्र बलदेव के निमित्त रचित । अथ के प्रांत मे मेडता के राज
वंश का वर्णन है। २६ २८ ! गुमपिनाम
ग्यपूर्ण। यमराम
२८वीं ८७ (नगनीराम)
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१५वीं श|