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रसालकारादिशास्त्र
[१४६
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क्रमांक ग्रन्थाहा
प्रन्यनाम
कर्ता
लिपि- पत्रभाषा
| समय / संख्या
विशेष
२३६७ | रसमंजरी
भानुदत्तमिन | संस्कृत १४वीं श. १५०से |
१६८ १६वीं श, १८ १८५४ १८२६ भुजनगर में लिखित । १६वीं श. १६२० १८५६ । कृष्णदुर्ग में लिखित । १७वीं श जोधपुर में लिखित। १८२७
२४/ रसमंजरी ३६३ | रसमंजरी
रसमंजरी रसमंजरी रसमंजरी
रसमंजरी રદES रसमंजरी ३०६७
रसमंजरी ३६३% रसमंजरी
रसमंजरी ११४० रसमंजरी
२३
१६वीं श ७ कुलपतिमिन ब्रहि० १७७६ / ८९
| सं. १७२७ में रचना राजगढ़ में लिखित।
रसरहस्य
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ब्र.
१८वीं श
७०
२२८८ | रसरहस्य
ब्राहि० १८०२ /
मगनीराम
७२ २२३५ रसराज ७३/ २२४८ रसराज
१६०३ १८८६
सं. १७२७ में आगरा मे रामसिंघजी की
आज्ञा से रचित। कृष्णगढ़ में लिखित। कृष्णगढ़ में लिखित, कर्ता ने अपने दो नाम इस दोहा से वताए हैं। 'बोलन में मो नाम है मगनीराम सुहात । कवित छद के वध में कवि खुसराम विख्यात'। स. १८२२ मे रचिद
मगनीराम
११११ | ३०५
२८४८ रसराजसटीक
| रमवर्णनकवित्त फुटकर (२)
रसविलास
२३४७
२०वीं श४-७
गोपाल
१८५७ / २५
लाहोरी
म.१६४४ में मिरजाखान के विनोदार्थ रचित।
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