Book Title: Dravyasangraha
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 7
________________ अधिकार मोक्षमार्ग के निरूपण का अधिकार है। इसमें 20 गाथाएँ हैं। आठ गाथाओं में निश्चय-व्यवहाररूप मोक्षमार्ग का प्ररूपण है, ग्यारह गाथाओं में ध्यान का व्याख्यान है और ग्रंथ की अंतिम गाथा में स्वागता छंद में प्राकृतरूप में आचार्य ने अपनी लघुता प्रकट की है। इस प्रकार अट्ठावन गाथाओं में ग्रन्थ समाप्त किया है।" द्रव्यसंगह में मात्रिक व वर्णिक छंद का प्रयोग किया गया है। सत्तावन गाथाओं में मात्रिक व अंतिम गाथा में वर्णिक छंद है। मात्रिक छंद में गाहा व उग्गाहा छंद प्रयुक्त हुए हैं। _ 'द्रव्यसंग्रह' इस प्रकार तैयार किया गया है कि अध्ययनार्थी ‘द्रव्यसंग्रह' से प्राकृत भाषा सीख सकें। प्राकृत भाषा को सीखने-समझने की दिशा में यह प्रथम व अनूठा प्रयास है। इसका प्रस्तुतिकरण अत्यन्त सहज, सरल, सुबोध एवं नवीन शैली में किया गया है जो पाठकों के लिए अत्यन्त उपयोगी होगा। इस पुस्तक में गाथाओं का व्याकरणिक विश्लेषण, अन्वय तथा व्याकरणात्मक अनुवाद दिया गया है। इसके पश्चात संज्ञा-कोश, क्रिया-कोश, कृदन्त-कोश, विशेषण-कोश, संख्याकोश, सर्वनाम-कोश, अव्यय-कोश दिये गये हैं। गाथाओं में प्रयुक्त छंदो के नाम दिये गये हैं जिससे पाठक छंद का ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है। यह पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, और पाठक 'द्रव्यसंग्रह' के माध्यम से प्राकृत भाषा का समुचित ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे, ऐसी आशा है। ___ श्रीमती शकुन्तला जैन, एम.फिल. ने बड़े परिश्रम से 'द्रव्यसंग्रह' को प्रस्तुत किया है जिससे अध्ययनार्थी प्राकृत भाषा को सीखने में अनवरत उत्साह बनाये रख सकेंगे। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं। Jain Education International (vi) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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