Book Title: Dravyapraman Prakaranam Evam Kshetrasparshana Prakaranam
Author(s): Jagacchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust
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ऽविकलभव्यजन्तुहितकरानेकविधकुशलप्रवृत्तिपरायणाः पं० श्रीमद्भानुविजयगणीन्द्राः, तच्छिष्यास्तु स्वभावसरलाः प्रशान्तप्रकृतयः सौम्यवदनाः स्वर्गताः श्रीमन्तः पं०पद्मविजयगणीन्द्राः, एतदेवाह-'पउमविजये' त्यादि, तेषां पद्मविजयगणीन्द्राणां 'सीसलेसेण' त्ति शिष्यलेशेन, समयोक्तशिष्यगुणानां यथावदभाजनतया नामशिष्य-प्रायेण जगच्चन्द्रविजयेन मुनिना 'अप्पावहारणट्ठा' त्ति आत्मनोऽवधारणार्थं रचितमिदं द्रव्यप्रमाण-प्रकरणं यावच्छीवीरस्वामिनस्तीर्थं तावन्नन्दतु, भव्यजन-नयनवदन-मानसदीन्यनवद्यान्याधाराण्यवा-प्येति शेषः ॥१०-११।।
॥ इति स्वोपज्ञावचूरि सहितम्
द्रव्यप्रमाणप्रकरणम् ... समाप्तम् ॥
॥ शुभं भूयात्सर्वेषाम् ॥

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