Book Title: Dravyapraman Prakaranam Evam Kshetrasparshana Prakaranam
Author(s): Jagacchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust
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तइआईसु दु-इग-इग
इग- इगकप्पेसु होइ सा कम ।
सड्ढदु- सड्ढति - चउ-स
ड्ढचउ-पणंसाऽट्ठ छ्सु वि दुहा ॥२४॥
चउआणय-सुक्कासुं,
उप्पाया जगअसंखभागो उ ।
छंसाऽत्थि सेसदुविहा,
विउव्वजोगे ण उप्पाया ॥२५॥
भागा गमागमाओ,
अट्ठ समुग्धायओ हवइ तेर । मीसविउव्वे ण दुहा,
साणा जगअसंखंसो ॥ २६ ॥
मइसुयणाण-अवहिदुग
सम्म - पउम - वेयगेसु उप्पाया । पण भागा दुविहा पुण,
भागा अद्वेव विणणेया ॥२७॥ एमेव खइय-उवसम
मीसेसुं णवरि जगअसंखंसो । उप्पाया दुसुमसे
ण समुग्धाया वि णेव भवे ॥२८॥
देसे उ समुग्धाया,
पणेव भागेयरा ण ससाणे ।
कमसोऽट्ठि - गार बारस
गमागमुप्पायओ समुग्धायाः ॥ २९॥
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