Book Title: Dhurtakhyan
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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताक्यान. लोक पूजित श्री महावीर विना सकल लोकने स्त्रीए वश कर्यो छे. गौतम वसिष्ठ पराशर जमदग्नि कस्य प अगस्ति प्रमुख महा ऋषिओ अमराधिप हरि हरादिक सर्व महा पुरुषोने स्त्रीओए दास कर्या ते माटे स्वर्गनी वेश्या तिलोत्तमाने इंद्रे कछुके ब्रह्माने तपथी मुकावे एव॒ इंद्रनु वचन शांभळीने तिलोत्तमा वे. श्या अदभुत वेष धारण करी शृंगार स जीने ब्रह्मानी आगल गइ त्यां पोताना पीनस्तन युगल ऊचां करीने नाभिमाग देखाइती हातना चाला करती जंधा उरस्थल नितंबने हलावती नाचवा लागी तेने जेईन ब्रह्मा एकेंद्रियनी परें सकलेंद्रिय व्यापार रहित थयो छतां तेनी सांबे नेत्रोनी दृष्टि मलावीने अवलोकन करवा लाग्यो त्यारे ब्रह्मानुं मन विकारने पाम्युं जाणीने तिलोत्तमा दक्षिणदिशा तरफ फरिगई ते जोईने ब्रह्माएते तरफ बीजु मूख कर्यु त्यारे तिलोत्तमा पश्चिम तरफ फरी गई ते समये ब्रह्माए पश्चिमे मुख कर्यु तेमज उत्तर दिशा तरफ चोथु मुख करयुं त्यारे तिलोत्तमा उपर उची गई ते जोईने ब्रह्माए पण उत्तर तरफ पांचमुं मुख करयुं ते वखते ब्रह्मानुं मन कामने वश थई गयुं एम For Private and Personal Use Only

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