Book Title: Dhurtakhyan
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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताख्यान. दीधो ने बीजाने सूर्यने स्वाधीन करयो अने को के ज्यारे भारत थाय त्यारे युद्धनी वृद्धि करवा सारु ए बनेने तमे मनुष्य लोकमां मोकलजो त्यार पछी भारतना समये सूर्य कुंतीनु रूप लावण्य जोई मोह पामीने तेने भोगवी तेथी कुंडली नामनो पु रुष अवतरयो.पुरा मास थयाथी तेने कुंतीए कानमांथी प्रसव्योतेनु नाम कर्ण पाडयुं हवे जो ए पुरुष कानमाथी नीकल्यो होय तो कमंडलनी ग्रीवाथी तुं के मन नीकले 6 प्रश्न मुलदेव-अगाध जलथी भरेली गंगा नदीने हुं भुजावडे केम तस्यो? उत्तर कंडरीक..-तेनी प्रतीत थवा सारु रामायणनो वृत्तांत शांभळ. रामचद्रंनी आज्ञा वडे हनुमत सीतानी शुद्ध लेवा जतां पोताना हाथवती समुद्रने तरीने लंका नगरीमा गयो अने सीताने जई म ल्यो त्यारे सीताए रामचंद्रजीना कुशलना समाचार पुछीने कडं के समुद्रने केम तरी आयो त्यारे हनु मंते जवाब आयो के. For Private and Personal Use Only

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