Book Title: Dhurtakhyan
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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घुर्ताख्यान. देश भमतो भमतो गोमहिष अजा एलक खर करभ समाकुल पुष्प फल समृद्धिवान अनेक वनखंड शोमित एवा महा समृद्धिवाला एक गाममां गयो. तेमां मेघनिकुरंष समान एक वडनुं झाडमें दीढुं. तेनी हेठळ सप्रभाव एक कमल नामनो यक्ष छे तेनी यात्रा पूजा करवा सारं स्नान करी, निर्मल वस्त्र पहेरी, फळ फूल धूपादिक पूजोपकरण लईने पूजतां महाजन समूहने वांछित वर दिये छे. एम जोईने हुं ते यक्षने प्रणाम करवा गयो. त्यां गामना लोक रमतांदिठां. एवामां अकस्मातसनड बद्ध एने कवचवंत अनेक आयुध नाखता कलकलाट शन्द करता चोरनी धाड पडी. त्यारे हुं तथा समस्त गामना लोक, वगेरे सर्वे एक चीडामां पेशी गीआ. त्यां सर्वे लोके खुशीथी क्रीडा करवा मांडी. गामना लोक नाशी गया एम जाणीने चोरोनी धाड पाछी फर एटलामां त्यां एक बकरी चरती चरती आवी तेणे ते आखा चीडांने गली ली, ते बकरीने एक अजगर गली गयो अजगरने एक दीकनामनी पक्षिणी गली गई. ते उडीने एक बडना झांड उपर जई बेठी तेवामां ते वड हेठल कोई For Private and Personal Use Only

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