Book Title: Dhurtakhyan
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुरिमान भाग थया, ते बेउ भागो पाछा पोतानी मेले संघाई ने फरीथी युद्धमा लडता हतां, तो तुं पाछो जीवतो थयो एमां शी नवाइछे. 2 वळी एकत्रीजो द्रष्टांत कहुंछु के सुंदअने निशुंद नाम नांचे दैतो सहोदर हता, ते सर्वलोकोनो क्षय करवाने वास्तेकाल जेवाथैने ऊव्या, तेवारे सर्व देवताओए, ते नोवध करवाने अर्थे पोतानांशरिरनो तील तील जेट लो भागलइने,तेने एकठो करीने सर्वांग सुंदराकार रुपलावण्यनुं निधान एवी एक तिलोत्तमा नामनीअपसरा नीपजावी. पछी ते अपसरा सर्व देवताओने प्रणाम करीने केहेवालागी के,मने जे हुकम फरमावो ते हुं करवाने तईयार . त्यारे देवताओए कयु के, शंद एने निशुंद नामनां वे दैतो छे तेनो नाश कर. पछी तिलोत्तमा ते देतो पासे जईने कटाक्षयुक्त हावभाव, विभ्रंम, वीलास देखाडती नाचवा लागी; ते नांरुप उपर मोहित थईने विध्यांध थई बेउ दैतो पोत पोतामां शस्त्रे करी वढीने मरण पाम्या. For Private and Personal Use Only

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