________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताख्यान. तथा कुंभकर्ण उघी ऊठया पछी एक हजार घडा मद्यनां पांन करतो तथा अनेक मनुष्य अने पशुना भक्षण करतो, तो तमे दश घडा तेल पीधुं तथा एक भार खड खाधु ते केम न मनाय.? // 3 // तथा अगस्त ऋषीएं समुद्र पीधो अने स्वर्गथी उतरी माहादेवना जटाजुटथी वेहतीथकी गंनानदी जहनु ऋषीने आश्रमे गह ने ऋषीये तेनों पान करी ने एक हजार वर्षसुधी उद्रमा राखी तेथी गंगानो नामपण जान्हवी थयु. जो ए वातो खरी छे तो तुं तेलना दश धडा पीयेते केम खोटुं कहेवाय.?॥४॥ प्रभ सस,-में मोटो हाथीना चामडानो दडो शीरीते उपाइयो तेपण कदापी कष्टें उपडायो पण एकले गांममां केम आण्यो.? नत्तरण खंझपाना,-अरेभाइ शश तें शुं गरुड आख्यान सांभल्युं नथी जे मने पुछेछे जो न सांभलीउं होय तो सांभळ कस्यपऋषीनी 1 कद्रु 2 विनता ए थे स्त्रीयोएं कोइ समे रमत करतां होड कीधी जे For Private and Personal Use Only