Book Title: Dhurtakhyan
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताख्यान. __ खंडपाना-एक वखते में अग्नीने आकर्षी तेनीसाथे संभोग कयों तेथी मने महातेजवंत पुत्र थयो. पण हुं बली नहीं ते केम ए शास्त्रनी सांखे मेलवी आपो.? एलाषाढ-कोइ एक समये यमनी स्त्री धुर्मोणा होम आपवा वास्ते होम सालामा गइ हती ते. वारे ते अग्निसाथे क्रीडा करवा लागी त्यां अकस्मात् यमने आवतो देखी भयभ्रांत थइने धुर्मोणाएंपाणीनी परें संभोगपूरोथयाविनाज अनिने पेटमाहें उतार्यो यमपण स्थिलोपांग तथा स्थिल कटीमेषला इत्यादि लक्षणे स्त्रीने सापराध जाणीने उदरमा गली देव सभाएं गयो तिहां देवताओएं हांसी करी पुछीएं जे तमने व्रणेने सुख छे तेवारे यंमना मुखथी उदरने मार्गे धुमोणा नीकली तथा उद्ररथी मुखने मार्गे अग्नि निकल्यो ते वनमां नाशी गयो यम तेनी पछवाडे दोड्यो वनमा जइने हाथीने अग्नी आव्याना समाचार पुछया पण हाथीए का जवाब दीधो नही तेथी यमे हाथीनी वाचा छेदी नां For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58