________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताख्यान. समये माताने कयु के मुझने अवसरे संभारजो, एम कही तत्काल वनमां गयो. पछी ऋषीनां प्रभावें योजन गंधा अक्षत योनी थइ. तेने सांतनु राजाएं भोगवी तेथी विचित्रवीर्य नामे पुत्र थयो. ते विचित्रवीर्य अपुत्रिक मरण पाम्यो पछे वंशनो विच्छेद थाय छे एवं योजनगंधाएं विचारीने पोताना पुत्र व्यासने संभार्यों थको ते वनथी आव्यो तेने माताएं का हे पुत्र वंशनो उद्धार करो. पछी विचित्रवीर्यनी स्त्रीथी व्यासनां प्रभावें पांडु, धृतराष्ट्र, ए वे पुत्र थया ने विचित्रवीर्यनी दासी एटले भोग स्त्री तेनाथी विदुर उत्पन्न थयो. जो व्यास जन्मतांज वनमा जतो रह्यो तो तारो पुत्र जन्मतांज अदृश्य थइ गयो एवात कोण न माने.? खंडपाना-मारी उमांनामे सखी हती तणीएं मने देवदानव आकर्षवानी विद्या आपी तेथी में सूर्यने आकर्षी प्राण्यो तेनी साथे में संभोगसुख भोगव्या तेथी हुं केम बली न गई ? कंदरीक-कुंतीएं सूर्यने भोगवी ते नही बली तो तुं केम बले ? For Private and Personal Use Only