Book Title: Dhurtakhyan
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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्तालयान. केटलाएक लोक पोताना ढोरो सहित नौकळी आ. व्या. ते सर्व राजाने प्रणाम करीने पोतपोताने ठेकाणे गया.ने हुं पण त्यांची नीकल्यो ऊजेणी नगरीए तमारा पासे आव्यो. न एखापाठः--भाइ, ए सर्वे साचुं छे. प्र०कंमरीका-तो चीभडामां गाम आ केम समायु? नएलाषाढः-भाई शुंतें विष्णुपुराण शांभल्यु नथी के अमने पुछे छे? जो न सांभल्यु होय तोसांभल. पूर्व आ जगत पंच महाभूत रहित जल एकार्णव करी मुक्युं हतुं त्यां एक मोहूँ इंडं हतुं ते जलना तरंगोमांघणाकालभटकतोथको कोइ एक समय फाट्यो तेनांबे कटकां धयां तेमांगें एक कटक आ पृथ्वि थइ ने अर्धा इंडामा सर्वसुर नरादि मनुष्य चतुष्पद वगेरेसमाया त्यारे चीभडामा एक गाम केम न समाय?? बीजु अरण्य पर्वमा मार्कड ऋषिए युधिष्ठिर आगल पोतानी अनुभवेली वात कही छे ते सांभल. मार्कड ऋषि युगना अंतमां जल एकार्णव समय For Private and Personal Use Only

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