Book Title: Dhurtakhyan
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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताख्यान. ने कह्यु के तमे मनुष्य लोकमां पधारो त्यारें गंगाजीए कह्यु के मने आकाशमांथी पडती कोण धरी शकशे? त्यारे परमेश्वरें कयु के हुं धरीश, पछी तेने ईश्वरें धारण करी जो ईश्वरें दिव्य सहस्र वर्ष सुधी गंगाने धारण करी होय तो तुमाहा पुरुष गणायो छतां छ महिना सुधी जलधारा माथा ऊपर धारण करे एमां मोटाइ शांनी? 8 इति कंडरीकेनोक्तं मुलदेव प्रति प्रत्युक्तर कथानाष्ट मिदं इति श्री धूर्ताख्याने प्रथमाख्यानकं संपूर्णम् // 1 // त्यारें मुलदेव कंडरीकने कहे छे. प्रश्न मुलदेवः-जे कांई ते दीडं होय, तथा शांभल्युं होय, अथवा जेनो अनुभवकरयो होय ते __ कहे तेवारे कंडरीक बोल्यो उत्तर कंडरीक-हुं नानी अवस्थामां महा अविनीत तथा महा दुर्दतहतो. तेथी माता पिताए रीश करीने मने घेरथी बाहेर कहाडी मुक्यो. हुं देशे For Private and Personal Use Only

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