Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 29
________________ चेतन ! श्री चक्केसरी वगैरह देवियों के दर्शन करने के बाद हम वापस पीछे लौटकर सीढ़ियाँ चढ़कर नीचे से ऊपर आकर दादा के दरबार की ओर जाते हैं, तब दोनों ओर जिनालयों की श्रेणियाँ हैं । ज्यों ज्यों हम चलतें जायें, त्यों त्यों कम से कम प्रत्येक मंदिर के मूलनायकजी को " नमो जिणाणं" कहते जाए । चेतन ! विश्व में ज्यादा से ज्यादा एक समय में विचरते हुए भाव तीर्थंकर १७० होते हैं, उसका दृश्य इसमें बताया गया है । " नमो जिणाणं" चेतन ! इसे "नेमिनाथ की चौरी" अथवा " विमलवसही" अथवा "भूल भुलैया का मन्दिर" कहा जाता है । इसमें मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ हैं। यहां आबू - देलवाड़ा के समान कलात्मक नक्काशी है । प्रतीत होता है कि इस जिनालय का निर्माण मंत्रीश्वर विमल शाह ने कराया होगा । चेतन ! इसमें साक्षात् नेमिनाथ की चौरी, नेमिनाथ की जान (बारात) व पाँच कल्याणक स्तंभों की ऐसी रचना आदि होने से मनुष्य में अत्यन्त भूल-भुलैये में पड़ जाता हैं । गुम्बज कमल पत्र, नागपाश, राजुल का विलाप एवं अष्ट महासिद्धि आदि के दृश्य हैं । चेतन ! नेमिनाथ की चौरी के मंदिर से थोड़ा आगे जाने पर एक कमरा है, उसमें एक व्यक्ति ऊंट पर सवार और एक व्यक्ति नीचे खड़ा दृष्टिगोचर होता है । लोग इसे पुण्य पाप की खिड़की कहते हैं। जो इसके नीचे से निकल जाये, वह पुण्यशाली कहलाता है । चेतन ! अब क्रमश: दर्शन करके "नमो जिणाणं" कहना (३) वि. संवत् १६८८ में निर्मित विमलनाथ का मन्दिर । (४) वि. संवत् १६८८ में निर्मित अजितनाथ जी का मन्दिर । Jai Ale tucation International" सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः” 27 www.jainelibrary.org

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