Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 63
________________ दादा के दरबार में श्री आदिनाथ प्रभु का पाँचवा चैत्यवंदन ...माता १ ...माता २ आदिदेव अलवसरू, विनीतानो राय, नाभिराया कुल मंडणो, मरूदेवा माय. पांचशें धनुषनी देहडी, प्रभुजी परम दयाल, चोराशी लख पूर्व-, जस आयु विशाल. वृषभलंछन जिन वृषधरू); उत्तम गुणमणि खाण; तस पदपद्म सेवन थकी, लही अविचल ठाण. ३ (श्री आदिनाथ भगवान का स्तवन माता मरुदेवीना नन्द, देखी ताहरी मूरति मारूं मन 3 लोभाणुजी के मारूं चित्त-चोराणुं जी । करूणानागर करूणा-सागर, काया-कंचन-वान । धोरी-लंछन पाउले कांई, धनूष पांचसे मान त्रिगडे बेसी धर्म कहता, सूणे पर्षदा बार । योजनगामिनी वाणी मीठी, वरसन्ती जलधार उर्वशी रूडी अपछराने, रामा छे मनरंग । _ पाये नेउर रणझणे कांई, करती नाटारम्भ ...माता ३ तुंही ब्रह्मा, तुंही विधाता, तुंही जगतारणहार । तुज सरीखो नहि देव जगतमां, अरवडिया आधार ...माता ४ तुंही भ्राता, तुंही त्राता, तुंही जगतनो देव । सुर-नर-किन्नर-वासुदेवा, करतां तुज पद सेव ...माता ५ श्रीसिद्धाचल तीरथ केरो, राजा ऋषभ जिणंद । कीर्ति करे माणेकमुनि ताहरी, टालो भवभय फंद ...माता ६ श्री आदिनाथ भगवान की स्तुति आदि जिनवर राया, जास सोवन्न काया, मरूदेवी माया, धोरी लंछन पाया; जगत स्थिति निपाया, शुद्ध चारित्र पाया, केवल सिरिराया, मोक्ष नगरे सिधाया । WARENCE Personal & ate wwwmainen rary.org "सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः MA

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