Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 110
________________ 7 दूरदूरथी तारा दरबारे आव्यो... दूरदूरथी तारा दरबारे आव्यो, आदिनाथ दादा तारा दरबारे आव्यो, दर्शन करवाने हुं तो अचलगढ़ आव्यो, दर्शन देजो दादा रे (२)... दादा रे दादा रे दादा रे.. तुं छे समर्थ दादा एवं में जाण्युं, हुं छं अज्ञानी कांई बधुना हुं जाणुं, आव्यो हुं तारे द्वारे, हैयामां धरी हाम, वलशे मुजने निरांत, हवे थावुं ना निराश, एवा एवा मनसुबा घडी हुं तो आव्यो, पूरजो पूरजो दादा रे (२)... दादा रे दादा रे दादा रे.. जन्मो जनमथी दादा मुजने तुं जाणे, कहे शुं जगने आज, तारी मारी आ छे बात, साचवजे मुजने नाथ, विनंती छे मारी आज, अंतरनी प्रार्थना तुं जाणे अजाणे, सुणजो सुणजो दादा रे (२)... दादा रे दादा रे दादा रे.. करने कसोटी हवे बंद मारा दादा, कर्मोना लेख हवे बदल मारा दादा, सहेवानी शक्ति खूटी, जीवननी आशा तूटी, लोक जाय लाज लूटी, हवे मारी धीरज खूटी, रडतो रझलतो हुं तो तारे द्वारे आव्यो, गुणरत्नसूरि दादा तारे द्वारे आव्या, तारजो तारजो दादा रे... आवजो आवजो दादारे... पूरजो पूरजो दादा रे... दादा रे दादा रे दादा रे.. दूरदूरथी.... Jain Education, Internationals दूरदूरथी ... दूरदूरथी... दूरदूरथी... गत सिद्धाचल गिरि नर्मो विमला मिरिमो नमः” 108 www.jainelibrary.org

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