Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 122
________________ 26 प्रभुजी... अजवालां देखाडो... प्रभुजी... अजवालां देखाडो, 66 जिनजी... अंतर द्वार उघाडो, अजवाला देखाडो अंतर द्वार उघाडो; काम, क्रोध मने भान भूलावे; माया, ममता नाच नचावे; मोक्ष मार्ग भूली भटकुं छं, रात सूझेना दहाडो... विपदतणां वादल घेराता; मने अशुभ भणकारा थातां; चारे कोर संभलाती मुझने, Jain Education International आज भयंकर राडो... नरक निगोदथी तें प्रभु तार्यो; अनन्त दुःखोथी मुजने उगार्यो; एक उपकार करो हजी मुज पर, 99 “सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल तिम्रो hy 120 जन्म मरण भय टालो ... प्रभुजी... प्रभुजी... प्रभुजी... प्रभुजी...

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