Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 125
________________ 1 यह है पावन भूमि ... यह है पावन भूमि, यहाँ बार-बार आना, आदिनाथ के चरणों में, आकर के झूक जाना... तेरे मस्तके मुकुट है, तेरे कानों में कुंडल है; तूं तो करुणा सागर है, मुझ पर करुणा करना... यह है० २ तेरा तीरथ सुंदर है, हमें प्राणों से प्यारा है; मेरी विनति सुन लेना, बेडा पार लगा देना... तूं जीवनस्वामी है, तूं अंतर्यामी है; मेरी नैया डूब रही, नैया को तिरा लेना... तेरी साँवली सूरत है, मेरे मन को लुभाती है; प्रभु मेरी भक्ति को, स्वीकार तूं कर लेना... 2 मीठो खरबूजो.... इक संघ चलायो भारी, हुई बेलांगरी सुं तैयारी मारा प्रभुजी रंगरंगीला, थारा मुगट में लागा हीरा, यह है ० १ मारा गुरुजी रंग रंगीला, जिनशासन रा उजियारा, थे आदिनाथने पूजो रे संघवी मीठो खरबूजो... यह है ० ३ मारा संघवीजी रंगरंगीला, थोरी लाल पाघडी में हीरा, यह है० ४ ए तो मोक्ष री पाग बंधाई रे संघवी .... यह है० ५ मारा संघवणजी रंगरंगीला, थोरी लाल चुंदडी में फूलो, ए तो धर्म री ज्योत जगाई रे संघवी ... थोरो दिलडो है रसगुल्लो, जोणे केरी मरसरो लुंदो रे संघवी ... जो ठीणा धीरो लुंदो रे संघवी ... सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः” 123 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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