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26 प्रभुजी... अजवालां देखाडो...
प्रभुजी... अजवालां देखाडो,
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जिनजी... अंतर द्वार उघाडो,
अजवाला देखाडो अंतर द्वार उघाडो; काम, क्रोध मने भान भूलावे;
माया, ममता नाच नचावे;
मोक्ष मार्ग भूली भटकुं छं,
रात सूझेना दहाडो...
विपदतणां वादल घेराता;
मने अशुभ भणकारा थातां;
चारे कोर संभलाती मुझने,
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आज भयंकर राडो...
नरक निगोदथी तें प्रभु तार्यो;
अनन्त दुःखोथी मुजने उगार्यो;
एक उपकार करो हजी मुज पर,
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“सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल तिम्रो hy 120
जन्म मरण भय टालो ...
प्रभुजी...
प्रभुजी...
प्रभुजी...
प्रभुजी...