Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries
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15 तने रात दिवस हुं याद करूं... तने रात दिवस हुं याद करूँ, शंखेश्वर पारस नाथ प्रभु, तारा दर्शननी हुं आश करुं, मारा दिलनी तने शुं वात करूं !
तने रात०१ अन्तर्यामी जगविश्रामी, सहु जीवनो प्रभु तुं हितकामी; । कलिकालनो छे तुं कल्पतरूं, वीतराग प्रभु छो विघ्नहरूं.
तने रात०२ मोहे घेर्या लोचन मारा, कीधा नहि में दर्शन तारा; एथी दुःखभर्यु जीवन मलियुं, बहु पाप करम मुझने नडीयु.
तने रात०३ ओ दीन बन्धु करुणा सागर, शरणागतना स्नेह सुधाकर; स्वामी भक्त बनी नमतो तुजने, दुःख मुक्त तुरत करजे मुझने.
तने रात०४
16 मारी आंखोमां आदिनाथ आवजो...
मारी आंखोमां आदिनाथ आवजो रे, हुं तो पापणनां पुष्पे वधावू, मारा हैयाना हार बनी आवजो रे, हुं तो पांपणनां पुष्पे वधावं... तमे मरूदेवीना जाया, त्रण लोकमां आप छवाया; मारा मनना (२) मंदिरमां पधारजो रे.
हुं तो... भवसागर छे बहु भारी, झोला खाती आ नावडी मारी; नैयाना (२) सुकानी बनी आवजो रे... | हुं तो... मने मोहराजाए हराव्यो, मने मारग तारो भुलाव्यो; जीवनना (२) सारथि बनी आवजो रे... हुं तो... मारा दिलमा रह्या छो आप, मारा मनमां चाले छे तारो जाप; मारा मनना (२) मयूर बनी आवजो रे...
हुं तो...
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"सिटाजल गिरि नमो नाम निपलान्चल गिरिजमो ना112
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