Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 108
________________ मारा व्हाला प्रभू... मारा व्हाला प्रभु, क्यारे मलशो तमे, मारी आशा पूरी, क्यारे करशो तमे... करुणासागर, बिरुद छे तमाळं प्रभु-(२) करुणा करशो, ए आश धरु हुँ प्रभु-(२) रात-दिवस हुं, समरूं छु प्रभु तुझने, मारी आशा... मारी कबुलात छे के, पतित हतो हुँ - (२) पण पतितोने तारनारो, एक ज छे तुं - (२) पतित पावन बनी, क्यारे आवशो तमे, मारी आशा... तुझने निरखी शकुं, एवी दृष्टि तुं दे - (२) तुझने ओलखी शकुं, एवी शक्ति तुं दे - (२) तारी छाया नी मायामा रहेQ गमे, मारी आशा... प्रभु ! ते मने जे आप्युं छे... प्रभु ते मने जे आप्युं छे, एनो बदलो हुं शे वालुं बस तारी भक्ति करी करीने, मारा मनडाने वालं... प्रभु नरक निगोदथी ते तार्यो, मने अनंत दुःखोथी उगार्यो तारा उपकारो अनंता छे... तुज द्वारे पहोंच्यो तारी कृपा, तुज शासन पाम्यो तारी कृपा __ जिन धर्म तणी बलिहारी छे... प्रभु मोक्षनगरनो सथवारो, हुं मोहनगरमा वसनारो तुं भवोभवनो उपकारी छे... २ Jain Ecocalon International "सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः” 1060 www.jainelibrary.org

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