Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries
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तारे शरणे आव्यो छु... तारे शरणे आव्यो छु, स्वीकारी ले;
पछी लई जा प्रभु तारा धाममां. तारे० १ तारा दर्शन विण चेन न आवे;
घडी घडी नाथ तारो विरह सतावे; (२) हुं अही सबई ने तूं त्यां बिराजे छे,
क्यांय आq ते होतुं हशे प्रेममां. तारे०२ तारा विण स्वामी मुजथी एकलुं रहेवाय ना;
वियोगनी वसमी घडीओ मुजथी गणायना; (२)
पकड्यो पालव छे पानु निभावी ले... तारे० ३। तारी मारी प्रीतडी छे जुगजुग पुराणी;
तारी मारी प्रीतनी आ अमर कहानी; (२) ।
क्यारे मलq छे ए तूं जणावी दे... तारे० ४ अंतरनी वात मारे कोने जईने कहेवीः ।
हैयानी वेदना मारे केम करी सहेवी; (२) ।
अंतर्यामी छे प्रतीति करावी दे... तारे० ५ क्यारे मले नाथ, तूं, जोऊतारी वाटडी,
रोईने राती थई छे, हवे मारी आँखडी; (२) सकलसंघनी विनंती तुं मानी ले... तारे० ६
'सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः 105
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