Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

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Page 86
________________ 5 दादा आदीश्वरजी दूर थी आव्यो दादा दरिशन द्यो । कोई आवे हाथी घोड़े, कोई आवे चढे पलाणे; कोई आवे पग पाले, दादा ने दरबार शेठ आवे हाथी घोड़े, राजा आवे चढ़े पलाणे; हूं आवुं पगपाले, दादा ने दरबार कोई मूके सोना रूपा, कोई मूके महोर; कोई मूके चपटी चोखा, दादा ने दरबार शेठ मूके सोना रूपा, राजा मूके महोर; हूं मूकुं चपटी चोखा, दादा ने दरबार कोई मांगे कंचन काया, कोई मांगे आंख; कोई मांगे चरणो नी सेवा, दादा ने दरबार पांगलो मांगे कंचन काया, आंधलो मांगे आंख; हूं मागूं चरणोनी सेवा, दादा ने दरबार हीर विजय गुरु हीरलो ने, वीर विजय गुणगाय; शत्रुंजय ना दरिशन करता, आनंद अपार Jain Education International “सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः" 糖 For Personal & Private Use Only 84 9 ६ ७ www.jainelibrary.org

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