Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ ॥४३॥ मत्त-द्विपेन्द्र-मृगराज-दवानलाहि, संग्राम-वारिधि-महोदर-बन्धनोत्थम् तस्याशु नाश-मुपयाति भयं भियेव, यस्तावकं स्तवमिमं मतिमानधीते स्तोत्रस्रजं तव जिनेन्द्र ! गुणैर्निबद्धां भक्त्या मया रुचिर-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम् धत्ते जनो य इह कण्ठगता-मजस्रं तं मानतुङ्गमवशा समुपैति लक्ष्मीः ॥४४॥ प्रार्थना गीत आव्यो दादा ने दरबार, करो भवोदधिपार, खरो तुं छे आधार, मोहे तार तार तार आत्मगुण नो भंडार, तारा महिमा नो नहि पार, देख्यो सुंदर देदार, करो पार पार पार तारी मूर्ति मनोहार, हरे मन ना विकार, मारा हैया नो हार, वंदु वार वार वार आव्यो दहेरासर मोझार, को जिनवर जुहार, • प्रभु चरण आधार, खरो सार सार सार आत्म कमल सुधार, ताहरी लब्धिछे अपार, अनी खूबी नो नहि पार, विनति धार धार धार ५ । सूरि गुणरत्नसार, आवे अचलगढ मोझार, _करे विनंती अपार, मोहे तार तार तार सूरि रश्मिरत्नसार, गावे गुणला अपार, मुज आतम स्वीकार, अवगुण वार वार वार ७ Education InM सिद्धाचल गिरि नमो नमः " विमलाचल गिरि नमो नमः” 77 www jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140