Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh Author(s): Rajhans Group of Industries Publisher: Rajhans Group of IndustriesPage 33
________________ चेतन ! हाथी पोल में प्रवेश करते हैं, तब दाहिनी और पुष्प बेचनेवाले बैठते हैं । बायीं ओर स्नानागार है । पोल के दोनों ओर कमरे में स्त्री-पुरुष के दोनों के लिए अलग "पूजा" के पास यहाँ वितरण किये जाते है। चेतन ! हाथी पोल के द्वार से आगे रतनपोल में आते हैं। चेतन ! इसमें चिंतामणि रत्न से भी अनंतगुणा महान अचिंत्य चिंतामणि रत्न तीर्थंकर भगवान बिराजमान है, इसलिए यह रतनपोल कहलाती है। इसमें प्रवेश करते हैं, तब दाहिनी ओर तेजपाल सोनी द्वारा वि. संवत १६५० में कराये गये जीर्णोद्धार का शिलालेख है । बायीं ओर वि. संवत १६५० में कराये गये जीर्णोद्धार का शिलालेख है तथा अकबर शहंशाह द्वारा वि. संवत् १६५० में की गई यात्राकर मुक्ति का शिलालेख है। चेतन ! कुछ सीढ़ियाँ चढ़ने पर सामने दादा का दरबार दृष्टिगोचर होता है। चेतन ! देख्न ले कितना विशाल और ऊंचा शिखर दादा के जिनालय का है कभी-कभी तो यहाँ पर मयूर केकारव करते हैं। अरे ! भूतल से ७८ फूट ऊंचा शिखर है । इसका कणपीठ कितना गहरा है, इसे जानने के लिए मंदिर के फर्श का एक भाग खुला रखा गया है, उसके ऊपर लोहे की एक चद्दर ढकी हुई है। अभी उसे भी बंद कर दिया गया है। "सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः 31 नमो नमः ME Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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