Book Title: Bhagwati Sutra Part 12
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 590
________________ જાહેર भगवती ___ अथाष्टमं कषायद्वारमाह-"सकसाई" इत्यादि । 'सकसाई कोहकसाई जाव लोभकसाई एए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए" सकपायी क्रोधकषायी यावल्लोभकषायी एते एकत्वपृथक्त्वेन यथा आहारका अत्र यावत्पदेन मानमायाकषाययोग्रहणम् तथा च सकपायी-कपायवान् तथा क्रोधकषायी, मानरुपायी, मायापायी, लोभापायी, एते एकवचनमाश्रित्य बहुवचनं चाश्रित्य आहारकवदेव नो प्रथमाः किन्तु अपथमाः अनादौ संसारे कपायाणामनादित्वात् । “अकसाई जीवे सिय पढमे सिय अपढमे" अकषायी जीवः स्यात् प्रथमः स्यादप्रथमः, अपायी जीवो यथाख्यातचारित्रस्य प्रथम सर्व प्रथम ही प्राप्त होती है-अर्थात् एक वार मिलती है। वार २ अवस्था नहीं मिलती। सातवां संयतदार समाप्त ॥ अष्टमकषायद्वार इस अष्टम कषायद्वार में गौतम ने प्रभुसे ऐसा पूछा है-'सकसाई कोहकसाई जाध लोभकसाई एए एगत्तपुहत्ते णं जहा आहारए' हे भदन्त ! कषायवान, क्रोधकषायवान, यावत्-मानकषायवान् और लोभ कषायवान् जीव एकवचन और बहुवचन की अपेक्षा से क्या प्रथम है या अप्रथम है ? इसके उत्तर में प्रभुने कहा है कि हे गौतम ! अनादि संसार में कषायों में अनादिता होने के कारण ये सब कषायवाले जीव आहारक सूत्र में कहे गये अनुसार अप्रथम ही हैं। प्रथम नहीं हैं। 'अकसाई जीवे सिय पढमे सिय अपढमे अकषायी जीव कदाचित् છે. અપ્રથમ હતા નથી. કેમ કે તેવી અવસ્થા જીવમાં સર્વ પ્રથમ જ પ્રાપ્ત થાય છે. અર્થાત એક્ર જ વાર મળે છે વારવાર મળતી નથી. તકાર સમાંત આઠમું કષાયદ્વાર આ આઠમા કષાયદ્વારમાં ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુને એવું પૂછયું કે-- "सकसाई कोहकसाई जाव लोभकसाई एए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए" . ભગવન કષાયવા–કોધકષાયવાન્ યાવત્ માનકષાયવાન, માયાકષાયવાનું અને - ભકષાયવાન છવ એકવચન અને બહુ વચનથી શું પ્રથમ છે? કે અપ્રથમ છે? તેના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે-હે ગૌતમ? અનાદિ સંસારમાં કવામાં અનાદિપણુ હેવાને કારણે આહારસૂત્રમાં કહ્યા પ્રમાણે આ બધા ४पाया ७३ मप्रथम छे. प्रथम त नथी. "अकसाईजीवे सिय पढमे सिय अपढमे माया 91 हाथित् प्रथम डाय छ, भने वार

Loading...

Page Navigation
1 ... 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714