Book Title: Bhagwati Sutra Part 12
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 665
________________ प्रमेयवन्द्रिका टीका श०१८ उ०२ सू०२ कार्तिकश्रेष्ठिनः दीक्षादिनिरूपणम् ६४७ मुव्रतस्य अर्हतः 'तहारूवागं थेराणं अंतियं' तथारूपाणां स्थविरागामन्ति केसमीपे 'सामाइयमाइयाई चोदसपुवाई अहिज्जई' सामायिकादिकानि चतुर्दशपूर्वाणि अधीते 'अहिाज्जत्ता' अधीत्य 'बहुहिं चउत्थछट्टमजाव अपाणं भावे माणे' वहुभिश्चतुर्थपष्ठाष्टम यावदात्मानं भावयन् अत्र यावत्पदेन 'दसमदुवाल. सेहिं मासद्धभासखमणेहि तवोकम्मे हि' इत्यस्य संग्रहः 'बहु पडिपुन्माई दुवालसवामाई सामन्नपरियार्ग पाउगई' बहुभतिपूर्णानि-संपूर्णानि द्वादश वर्षागि श्रामण्यार्यायं पालयति, 'पाउणित्ता पालयित्वा मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झोसेई' मासिक्या संलेखना आत्मान जोपयति-आराधयति झोसित्ता' जोपरित्या आराध्य 'सहि भनाई अणसणाए छेएड' पष्टि भक्तानि अनशनेन छिपनि, सूत्रे आप यात्रीलाम् छेदित्ता' छित्त्वा 'पालोइयपडिकते' आलोचितप्रतिक्रान्त:-कृतालोचनामतिक्रमणः सन् 'कालमासे कालं किच्चा' कालमासे कालं कुत्रा 'सोहम्मे कप्पे' सौधर्म कल्पे 'सोहम्मवडंसए विमाणे' सौधर्मावतं. सके विमाने 'उववायसभाए उपपातसभायाम् 'देवसयणिज्जसि' देवशयनीये में सामायिक आदि चौदह पूर्षों का अध्ययन करने लगे जब यह अध्यया कार्य उनका समाप्त हो चुका-तब 'बहुहिं चउत्थ.' उन्होंने अपने आपको चतुर्थ, षष्ठ, अष्टम आदि की तपस्या से भावित किया। यहां आदि पदसे 'दसमदुवालसेहिं मास अद्धमाखमणेहिं तवोकम्मेह इन पदों का संग्रह हुआ है। इस प्रकार वे बहुपडिपुन्नाई दुवाललवा साई' १२ वर्ष तक श्रामण्य पर्याय का पालन करते रहे। पालन करने के बाद फिर उन्होंने 'मासियाए' एक मासकी संलेखना की आराधना की उसकी आराधना से 'सद्धिमत्ताई.' उन्होंने ६० भक्तों का अनशन द्वारा छेदन कर दिया ६० भक्तों का छेदन करके वे कृतालोचना प्रतिक्रमणवाले होकर समाधि को प्राप्त हो गये। कालमास में कालकर सौधर्मकला में मौधर्मावतंसक विमान में उपपात सभामें देवशयनीय पर देवों a I. तभानु मययन आय न्यारे पूर्ण थवा माथ्युत्यारे 'बहूहिं चउत्थ' તેઓએ પિતે ચતુથ, ષષ્ઠ અષ્ટમ, વિગેરે તપસ્યા કરી. અહિં યાવત્ ५४थी 'दसमदुवालसेहि मासखमणेहिं तवोकम्मेहिं' मा पानी सड थये। छे. मा शत तमे। 'बहुपडिपुन्न ई दुवालसवासाइ' मा १५ सुधी श्रामण्यपर्यायन પાલન કરતા રહ્યા. અને તે પ્રમાણે પાલન કર્યા પછી તેઓએ મરણ સમયે 'मासि गए' से भासनी सोमनातु भाराधन यु तनी माराधनाथी 'सद्धिं भत्ताई સાઈઠ ભકતનું અનશન દ્વારા છેદન કર્યું સાઈઠ ભકતોનું છેદન કરીને આ ચ ના પ્રતિક્રમણ કરીને સમાધિને પ્રાપ્ત કરી અને કાલ સમયે કોલ કરીને સૌધર્મ ઠ૯૫નાં સૌધર્માવત સક વિમાનમાં ઉ૫૫ તસભામાં દેવશયનીય ૫ર દેવેના ઈ

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