Book Title: Bhagwati Sutra Part 12
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 663
________________ प्रमैयवन्द्रिका टीका श०१८ उ०२ सू०२ कात्तिकश्रेष्ठिनः दीक्षादितिरूपणम् ६४५ अत्र यावत्पदेन 'एवं निसीयध्वं एवं तुयट्टियव्यं, एवं भोत्तज्वं, एवं भासियध्वं एवं सनमेणं' इत्यन्तं ग्राह्यम् । तत्र-एवं निषीदितव्यम्-संदंशकभूमिपमार्जनादिना उपवेष्टव्यम् , एवं त्वम्वर्तितव्यम्-यतनया पाश्र्वपरिवर्तनं कर्तव्यम् , एवं भोक्तव्यम्-अङ्गारधूमादिदोपराहित्येन आहारयितव्यम् , एव भापितव्यम्हितमितमधुरादि भाषया वक्तव्यम्, एक संयमेण प्राणादिरक्षणरूपेणेति, 'दए एव भोत्तव्यं, एवं भासियव्यं. एवं सजमेणं' इस पाठ का ग्रहण हुआ है । भूमि की प्रमार्जना करके ही बैठना चाहिये, यतना के साथ करवट बदलना चाहिये अङ्गार, धूम आदि दोष रहित आहार करना चाहिये। हित, मित, मधुर भापा बोलनी चाहिये 'तए णं से कत्तिए०' इस धर्म कथा सुनने के बाद उस कार्तिकसेठ ने १००८ वणिरजनों के साथ मुनिसुव्रत अर्हन्त के इस प्रकार के धार्मिक उपदेश को स्वीकार कर लिया। 'तमाणाए तहा गच्छद.' अतः वह उनकी आज्ञानुसार उसी प्रकार से चलने लगा। यावत् संघम में यतना रखने लगा यहां यावत्पद से 'एवं तहा चिट्ठह, तहा नीसीयह, तहा तुपट्टा, तहा भुजह, तहा भासइ, तहा संजमेणं' इस पाठ का संग्रह हुआ है । कार्तिकसेठने इस प्रकार संयम का पालन करना प्रारंभ कर दिया 'तए णं से कत्तिए सेट्ठी नेगममहस्सेणं सद्धि अण(५६यी ‘एवं निनीयवं, एवं तुयद्वियव्य एव भोत्तव्व एवं भासियव्वं, एवं संजमेणं सजामियव्य' मा पानी सडथयेछ. तन। म मा प्रमाणे छे भूभानी પ્રમાજના કરીને જ બેસવું જોઈએ. યતના પૂર્વક કરવટ (પડખું) બદલવું જોઈ એ. અંગારદેષ અને ધૂમદેષ વિગેરે વિનાને નિર્દોષ આહાર લે જોઈએ. હિત, મિત, અને મીઠી વાણી બોલવી જોઈએ. ઈદ્રિયસંયમ અને वासियभनु पालन ४२. 'तए णं से कत्तिए' मा प्रमाणे यथा समय પછી તે કાર્તિકશેઠે એકહજાર આઠ વણિકજને સાથે મુનિસુવ્રત ભગવાનના આ माना ना ५४शन 0 दीधा 'तमाणाए तहा गच्छई' पछी तमा મુનિસુવ્રત ભગવાનની આજ્ઞાનુસાર તેજ પ્રકારથી વર્તવા લાગ્યા થાવત્ સંયમમાં यतना रामा साया मायावत्५४थी एवं तहा चिटुइ, तहा निसीयइ तहातुयाई तहा मुंजइ, तहा भासइ, तहा संजमेणं सजमई' मा ५४ अडथये। छे. तेन આ પ્રમાણે છે. તે પ્રમાણે યતના પૂર્વક રહેવા લાગ્યા. તે પ્રમાણે યતનાથી બેસવા લાગ્યા. તે પ્રમાણે પડખું યતનાથી ફેરવવા લાગ્યા તે પ્રમાણે આહાર કરવા લાગ્યા. તે પ્રમાણે નિર્વઘ ભાષા બોલવા લાગ્યા. કાર્તિકશેઠે मा प्रमाणे अयमनु पासान ४२वाना प्रार या. 'तए णं से कत्तिए सेट्ठी

Loading...

Page Navigation
1 ... 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714