Book Title: Bhagwati Sutra Part 12
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 664
________________ भगवतीचे ण से कत्तिए सेट्ठी नेगमपहस्सेणं सद्धि' ततः-धर्मस्थानन्तरं स कार्तिकः श्रेष्ठी नैगमाप्टसहस्रग साईम् 'मुणिसुन्धयस्स अरहो' मुनिसुव्रतम्य अर्हतः इमं एया. रूवं धम्मियं उबएसं सम्म पडिवज्नई' इमम् एतावद्रूपं धाभिकमुपदेशं सम्म ति पद्यते स्वीकरोति इत्यर्थः 'तमाणाए तहा गच्छई' तदाज्ञया तथा गच्छति, 'जाव संनमेइ' यावत् संपमयति तत्र यावत्पदेन 'एवं वहा चिट्ठा, तहा निसीयइ, तहा तुयहर, तहा सुजइ तहा भासइ तहा संनमेण' इत्यस्य संग्रहः । संयमयवि-सयमं पालयतीत्यर्थः 'तए णं से कत्तिए सेट्ठी नेगमसहस्सेणं सद्धि अणगारे जाए' ततः खलु स कार्तिक श्रेष्ठी नैगमाष्टसहस्रेग सार्द्धम् अनगारो जातः, कीदृश इत्याह 'इरिया' इत्यादि 'इरियासमिए जाव गत्तवंभयारी ईरियासमितो यावद् गुप्तब्रह्मचारी समभवत्, अत्र यावत्पदेन 'एसणासमिए,' ओयाणभंडमत्तनिक्खे वणासमिए, उच्चारपासवणखेलजलसिंघाणपरिट्ठावणियारामिए, मणगुत्ते, वगुत्ते, कायगुत्ते, गुत्ते गुनिदिए' एषणासमितः, आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमितः, उच्चारमन्त्रणखेलजस्लसिङ्घाणपरिठापनिकासमितः, मनोगुप्ता, ववोगुप्ता, कायगुप्तः, गुप्ता, गुप्तेन्द्रियः, इति संग्रहः। व्याख्या सुगमा। 'तए ण से कत्तिए अणगारे' ततः खलु स कार्तिकोऽनगारः 'मुणिमुन्धयस्स अरहओ' मुनि गारे जाए' इस प्रकार वे काकिसेठ अब १००८ वणिजनों के साथ अनगार बन गये । 'इरिया०' ईयर्यासमिति से यावत् एषणासमिति से, आदाननिक्षेाणासमिति से, उच्चार प्रलवण खेरजल्लसिंघाणपरिष्ठापानिकासमिति से, युक्त बन गये, मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, और कायगुपित इन तीनों गुप्नियों का पालन करने लगे। ब्रह्मचर्य गुप्ति की अच्छी प्रकार से आराधना करने लगे। अपनी इन्द्रियों को उन्होंने जीतलिया। 'तए णं से, कत्तिए.' इसके बाद वे कार्तिक अनगार 'मुणिवपस्स.' मुनिसुवत अर्हन्त के तयारूप अनगारों के पास नेगमट्ठसहस्सेणं सद्धि अणगारे जाए' मा शत त ति°N AM२ मा पwि साये मनसार 11 11. 'ईरिया' या समितिथी यावत् एपणा' એષણાસમિતિથી, આદાન નિક્ષેપણ સમિતિથી ઉચ્ચાર પ્રસ્ત્રવણ ખેલજહલ સિંઘાણ પરિડાપન સમિતિથીયુક્ત બની ગયા મને ગુપ્તિ, વચનગુપ્તિ, અનેકાયગુપ્તિ, એ ત્રણે ગુનિયાનું પાલન કરવા લાગ્યા. બ્રહ્મચર્ય ગુપ્તિની સારી રીતે माराधन ४२५॥ साया तो पातानी दीया ती सीधी. 'तए णं से कत्तिए' पछी ति मना२ मुनिसुव्ययम्स' भुनिसुव्रत भगवानना તથારૂપ અનગ તેની પાસેથી સામાયિક વિગેરે ચિૌ પૂવૅને અભ્યાસ કરવા

Loading...

Page Navigation
1 ... 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714