Book Title: Bhagwati Sutra Part 12
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमैयचन्द्रिका टीका श०१८ उ०३ सू०१ पृथ्वीकायादीनामन्तक्रियानिरूपणम् ६५६ खलु काउलेस्से वणस्सइकाइए जाव अंतं करेइ। तए णं समणां णिगंथा मागंदियपुत्तस्त अणगारस्त, एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दहति ३ एयमढे असदहमाणा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्तासमणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वासी एवं खलु भंते! मागंदियपुत्ते अणगारे अम्हं एव माइक्खइ भासेइ पनवेइ परूवेई एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु अजो काउलेस्से आउकाइए जाव अंतं करेइ एवं वणस्सइकाइए वि जाव अंतं करेइ से-कहमेयं भंते! एवं ? अजोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणे, णिग्गंथे आमंतिता एवं वयासी जपणं अजो? मगंदियपुत्ते अणगारे तुझे एवं आइक्खइ भासइ पनवेइ परूवेइ एवं खल्लु. अज्जो! काउलेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ एवं खलु अजो!" काउलस्से आउकाइए जाव अंतं करेई एवं खलु अजो! काउलेस्ले वणस्सइकाइए वि जाव अंतं करेइ, सच्चेणं एसमडे' अहंपिणं अजो! एवमाइक्खामि ४ एवं खलु अजो ! कण्हलेस्से. पुदवीकाइए कण्हलेस्सहिंतो पुढवीकाइएहिंतो जाव अंतं करेई एवं बलु अजो! नीललेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ एवं काउलेस्सेवि जइ पुढवीकाइए एवं आउकाइए वि, एवं वणस्सइकाइए वि, सच्चे णं एसमटुं, सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति समणा ; निग्गंथा समगं भगवं महावीरं वंदंति, नमसंति, वंदित्ता,

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