________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० ४ सू० २ संहननदेन पुद्लएरिवर्तननि. १२१ नो अतीतोऽस्ति, पृथिवीकायिकत्वे वर्तमानस्य वैक्रियपुद्गलग्रहणस्याभावेन तन तत्परिवर्तासंभवात् , गौतमः पृच्छति-केवड्या पुरेक्खडा' हे भदन्त ! एकैकस्य नैरयिकस्य पृथिवीकायिकरवे भियन्तो वैक्रिय पुद्गलपरिवर्ताः पुरस्कृताः भविष्यन्तः सन्ति ? भगवानाह--'नधि एको वि' हे गौतम ! एकैकस्य नैरयिकस्य पृथिवीकायिकत्वे अनागतकालसम्बन्धिनि, एकोऽपि वैक्रियपुद्गलापरिवतो भावी नास्ति, तत्र वैक्रियाद्गलग्रहणाभावात् , 'एवं जत्थ वेव्यियसरीरं अस्थि, तत्थ एगुत्तरिओ' एवं-पूक्तरीत्या यत्र भवें वैक्रियशरीरमस्ति तत्र भरे एकोत्तरको वक्तव्यस्तथा च वायुकायिकन्वे मनुष्यपञ्चन्द्रियतियायोनिषु वानव्यन्तगदिषु च वैक्रियशरीरस्य सद्भावेन तत्र नहीं हुआ है, क्योंकि पृथवीकायिक अवस्था में वर्तमान जीव को वैक्रिय पुगदलों को ग्रहण करने का ही अभाव रहता है अतः इसके अभाव से वहाँ उसके परिवर्त की असंभवता है । अप गौतम प्रभु-से ऐसा पूछते हैं-'केवइया पुरेक्खडा' हे भदन्त ! एक एक नैरयिक को पृथवीकायिक अवस्था में कितने वैक्रियपुगद्लोपरिवत होनहार है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं कि हे गौतम नत्यि एको वि' एक एक नरथिक को अना. गत काल-संबंधी पृथवीकायिक अवस्था में एक भी वैफियपुगदलपरावर्त होनहार नहीं है क्यों कि उल अवस्थामें वैक्रियपुगदलों को ग्रहण करने का अभाव रहता है एवं जत्थ घेउवियलरीरं अस्थि तत्थ एगुत्तरिओ' जहाँ पर-जिस भव में वैक्रियशरीर है वहां पर-उस भव में जैसे वायुकाधिक अवस्था में, मनुष्य अवस्था में, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक अवस्था में, वानव्यन्तरादिकों में, वैक्रियशरीर का समाव होता हैસ્થામાં એક પણ પૈકિ પુદ્ગલ પરિવર્ત કરેલ નથી, કારણ કે પૃથ્વીકાયિક અવસ્થામાં રહેલ જીવ વૈક્રિયપુદ્ગલ પરિવર્તપણ સંભવી શકતે નથી
गौतम स्वाभान प्रश्न-" देवइया पुरेक्सडा"Bua ! प्रत्ये: ना२४ પિતાની ભવિષ્યકાલીન પૃથ્વીકાયિક અવસ્થામાં કેટલા વિઝિયપુદ્ગલ પરિવર્ત કરશે?
महावीर प्रभुन। उत्तर-" नत्थि एक्को वि" हे गौतम ! प्रत्ये: नानी આગામીકાળની પૃથ્વીકાયિક અવસ્થામાં એક પણ વદિયપુદ્ગલ પરિવર્તને સદ્ભાવ નહીં હોય, કારણ કે તે અવસ્થામાં વૈકિય પુદ્ગલેને ગ્રહણ કરવાનો १ मा डाय छ "एवं जत्थ वेउव्यियसरीरं अस्थि तत्थ एगुत्तरिओ" सभा વૈકિયશરીરને સદભાવ હોય છે તે ભવમાં (વાયુકાયિક, પંચેન્દ્રિય તિર્ય: નિક, મનુષ્ય, વાન વ્યંતર આદિકમાં વૈકિશરીરને સદ્દભાવ હોય છે) भ०१६