Book Title: Bhagwati Sutra Part 10
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 710
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १३ उ०४ सू० १० अवगाहनाद्वारनिरूपणम् ६८७ हे गौतम! तत्र स्यात्-कदाचित् एको धर्मास्तिकायमदेशोऽवगाढी भवति, गत्-कदाचित् द्वौ धर्मासिसकायप्रदेशौ अवगाहौ भवतः, स्यात् कदाचित त्रयो धर्मास्तिकायमदेशास्तत्रावगाढा भवन्ति, तत्र यदा त्रयोऽपि परमाणव एकत्राकाशपदेशेऽवगाहास्तदा तत्रैको धर्मास्तिकायप्रदेशोऽवगाढा, यदा तु द्वयोराकाशप्रदेशयोस्तदा द्वौ धर्मास्तिकायमदेशी अवगाढौ, यदातु त्रिपु आकाशप्रदेशेषु अवगाहास्तदा यो धर्मास्तिकायप्रदेशा अवगाहा भवन्ति । 'एवं अहमस्थिकायस्स वि, एवं आगामस्थिकायस्स वि, सेसं जहेब दोहं' एवं धर्मास्तिकायादेव अधर्मास्तिकायस्यापि स्यात् एकः, स्यात् द्वौ, स्यात् त्रयः प्रभु कहते हैं-सिय एक्को सिय दोनि सिय तिन्नि' हे गौतम ! वहां पर कदाचित् एक धर्मास्तिकायप्रदेश अवगाढ होता है, कदाचित् दो धर्मास्तिकाय प्रदेश अवगाढ होते हैं, और कदाचित् तीन धर्मास्तिकायप्रदेश अवगाढ होते है । तात्पर्य कहने का यह है कि जब तीन परमाणु एकत्र आकोशप्रदेश में अवगाढ होते हैं उससमय वहाँ एक धर्मास्तिकायप्रदेश, अवगाढ होता है जब दो आकाशप्रदेश में तीन परमाणु अवगाढ होते हैं तब दो धर्मास्तिकायप्रदेश अवगाढ होते हैं और जय तीन आकाशप्रदेशों में तीन पुद्गलपरमाणु अवगाढ होते हैं - तब तीन धर्मास्तिकायप्रदेश पहा अवगाढ होते हैं । 'एवं अहमस्थिकायस्त वि, एवं आगासथिकायस्स वि, जहेव दोण्हं ' धर्मास्तिकाय के कथन अनुसार ही अधर्मास्तिकाय का भी कदाचित् दो प्रदेश और कदाचित् तीन प्रदेश वहां अवगाढ होते हैं। जीवोस्तिकाय, पुद्गला. ___ मापार प्रभु! तर-" सिय एफ्को, सिय दोन्नि, सिय तिन्नि" ગૌતમ! ત્યાં ક્યારેક એક ધર્માસ્તિકાય પ્રદેશ અવગાઢ હોય છે, કયારેક બે ધમસ્તિકાયપ્રદેશે અવગાઢ હોય છે અને કયારેક ત્રણ ધમસ્તિકાયપ્રદેશ, અવગઢ હોય છે આ કથનને ભાવાર્થ આ પ્રમાણે છે-જયારે ત્રણ પરમાણુ એકજ આકાશ પ્રદેશમાં અવગાઢ હોય છે, ત્યારે ત્યાં એક ધર્માસ્તિકાયપ્રદેશ અવગાઢ હોય છે જયારે બે આકાશપ્રદેશમાં ત્રણ પરમાણુ વગાઢ હોય છે, ત્યારે ત્યાં બે ધર્માસ્તિકાય પ્રદેશે અવગાઢ હોય છે જ્યારે ત્રણ આકાશપ્રદેશમાં ત્રણ પુલ પરમાણુ અવગાઢ હોય છે, ત્યારે ત્યાં ત્રણ ધમસ્તિકાયપ્રદેશો साद डाय छ, "एवं अहम्मत्थिकायस्स वि, एवं धागासस्थिकायस्स वि सेसं जहा दोण्हं" यिनी २५ अस्तियनी ५ या२४ थे। પ્રદેશ, કયારેક બે પ્રદેશ અને કયારેક ત્રણ પ્રદેશ ત્યાં અવગા હોય છે,

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