Book Title: Bhagwati Sutra Part 10
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १३ उ०४ सू० ६ दिकूविदिकूप्रवहद्वारनिरूपणम् ५९७ स्यगाइया, रुयगप्पवहा, चउप्पएसाइया, . 'वउप्पएसविस्थिन्ना, अणुत्तरा लोगं पडुच्च, सेसं जहा अग्गेयी, नवरं रुयगसंठिया पण्णत्ता, एवं तमा वि।सू०६॥ ___छाया-ऐन्द्री खलु भदन्त ! दिक् किमादिका, किं प्रवहा, कति मदेशादिका, कतिपदेशोत्तरा, कतिपदेशिका, कि पर्यवसिता, कि संस्थिता प्रज्ञप्ता ? गौतम ! ऐन्द्री खलु दिक् रुचकादिका, रुचकमवहा, द्विमदेशादिका, द्विपदेशोत्तरा, लोकं प्रतीत्य असंख्यप्रदेशिका, अलोकं प्रतीत्य अनन्तपदेशिका, लोकं प्रतीत्य सादिका सपर्यवसिता, अलोकं प्रतीत्य सादिका अपर्यवसिता, लोकं प्रतीत्य मुरजसंस्थिता, अलोकं प्रतीत्य शकटौधः संस्थिता प्रज्ञता | आग्नेयी खलु भदन्त ! दिक् किमादिका, किं प्रबहा, कति मदेशादिका, कतिमदेशविस्तीणी, कतिपदेशिका, किं पर्यवसिता, किं संस्थिता प्रज्ञप्ता ? गौतम ! आग्नेयी खलु दिक् रुचकादिका, रुचकमवहा, एकादेशादिका, एकपदेशविस्तीर्णा, अनुतरा, लोकं प्रतीत्य असंख्येयप्रदेशिका, अलोकं प्रतीत्य अनन्तमदेशिका, लोकं प्रतीत्य सादिका सपर्यवसिता, अलोकं प्रतीत्य सादिका अपर्यवासिता, छिन्नमुक्तावलीसंस्थिता मज्ञप्ता। याम्या यथा ऐन्द्री। नेती यथा आग्नेयी । एवं यथा ऐन्द्री तथा दिशश्वतस्त्रः, यथा आग्नेयी तथा चतुस्रोऽपि विदिशः। विमला खलु भदन्त । दिक किमादिकाः ? पृच्छा, यथा आग्नेयी, गौतम ! विमला खल्लु दिक् रुचकादिका रुचकमवहा, चतुष्पदेशादिका, चतुष्पदेशविस्तीर्णा, अनुत्तरा, लोकं प्रतीत्य शेष यथा आग्नेयी, नवरं रुचकसंस्थिता प्रज्ञप्ता, एवं तमाऽपि ।। सू०६॥
टीका-अथ षष्ठं दिक् विदिक प्रवहद्वारमाह-'इंदा णं भंते' इत्यादि । इंदाणं भंते । दिसा किमाइका, कि पवहा, कइपएसाइया, कइपएसुत्तरा, कइपएसिया,
दिग्विदिक प्रवहद्वारवक्तव्यता ॥ 'इंदाणे भंते । दिसा किमाइया' इत्यादि ।
दीकार्थ-इस सूत्र द्वारा सूत्रकार ने दिक् विदिक प्रवहाद्वार का निरूपण किया है-इस में गौतमने प्रभु से ऐसा पूछा है-'इंदा णं भंते ! दिसा' हे भदन्त ! ऐन्द्री दिशा-पूर्वदिशा (किमाइया) क्या आदिवाली
-dale ASAIR 4xt०यता"इंदा गं भंते ! दिसा किमाइया" त्याल
ટીકાર્થ–સૂત્રકારે આ સૂત્રમાં દિક વિદિ પ્રવહદ્વારનું નિરૂપણ કર્યું છે. गौतम कामी महावीर प्रभु मेवी प्रश्न पूछे छे :-" इंदा णं भंते ! दिसा .किमाइया ?" मन् ! मैं-lear (पू .) Y माहिणी छ ? -मेट

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