Book Title: Bhagwati Sutra Part 10
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 699
________________ ૬૭È भगवती सूत्रे स्थाने एकोsस्तिकाय प्रदेशोऽवगाढो भवति, धर्मास्तिकाय प्रदेशस्थानेऽधर्मा स्ति हायमदेशस्य विद्यमानत्वात् । गौतमः पृच्छति' केवइया आगासत्थिकायप्पएसा ओगाढा ? ' हे भदन्त ! एकधर्मास्विकायम देशावगाहस्थाने कियन्तआकाशास्तिकाय प्रदेशाः अत्रगाढा भवन्ति ? भगवानाह - ' एको' हे गौतम ! तत्र एक एव आकाशास्तिकायमदेशः अवगाढो भवति, गौतमः पृच्छति - ' केवइया जीवत्कायएसा ओगाढा ?' एकः धर्मास्तिकायम देशावगाहस्थाने कियन्तो जीवास्तिका प्रदेशा अवगाढा भवन्ति ? भगवानाह - ' अनंता' हे गौतम । तत्र पर धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ है- वहां पर एक धर्मास्तिकायप्रदेश की अवगाहना स्थान पर - अधर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ होता है- क्योंकि धर्मास्तिकाय प्रदेश के स्थान पर अधर्मास्तिकाय का एक प्रदेश विद्यमान रहता है । अव गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-' केवढ्या आगासत्थिकाएसा ओगाढा' हे भदन्त ! एक धर्मास्तिकाय प्रदेश के अवगाहना स्थान में आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-' एको' हे गौतम! वहां पर एक ही आकाशास्तिकायप्रदेश अवगाढ होता है । अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं- 'केवइया जीयस्थिकायप्पएसा ओगाढा' हे भदन्त ! एक धर्मास्तिकाय प्रदेशावनाहस्थान में जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैंअगंना' हे गौतम! वहां जीवास्निकाय के अनन्तप्रदेश अवगाढ होते हैं । સ્તિકાયના એક પ્રદેશ અવગાહિત હાય છે, ત્યાં~એક ધર્માસ્તિકાય પ્રદેશની અવગાહના સ્થાન પર અધર્માસ્તિકાયના એક પ્રદેશ અવગાહિત હૈય છે, કારણ કે ધર્માસ્તિકાય પ્રદેશના સ્થાન પર અધર્માસ્તિકાયના એક પ્રદેશ વિદ્યમાન રહે છે. गौतम स्वाभीनो प्रश्न - " केवइया आगासत्थि कायप्परसा ओगाढा ?" डे ભગવન્! એક ધર્માસ્તિક.યપ્રદેશના અવગાહના સ્થાનમાં આકાશાસ્તિકાયના કેટલા પ્રદેશે અવગાહિત હાય છે ? उत्तर- " एक्को " ते स्थान पर आअशास्तिडायनो मे ४ अहेश અવાહિત હાય છે ગૌતમ સ્વામીને प्रश्न- " केवइया जीवत्थिकायप्पएसा ओगाढा ?" डे ભગવન્ ! એક ધર્માસ્તિકાય પ્રદેશના અવગાહના સ્થાનમાં જીવાસ્તિકાયના કેટલા પ્રદેશે! અવગાહિત હાય છે ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743