Book Title: Bhagawan Parshwanath Part 02 Author(s): Kamtaprasad Jain Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 8
________________ पृष्ठ प्रस्तावना २३ ४७ ५५ ५६ ५५ ex "" 39 १४७ ૨૦૧ २१४ " २१६ २३६ 3 દ १३ ६. फुटनोट 19 ૧૨ ७६ ७८ ८५ ९८ फुटनोट ३ १०७ ११ ११२ ११ १४१ फुटनोट १४५ २१ ૧૪૬ S २.१ ८ व ९ १३ ভ १३ शुद्धाशुद्धि पत्र । शुद्ध स्वीष्टाब्द reforner वहां सम्रा ग्लीनिजास आजीविन्स अवश्य ही स्यवं गया माना गया उनसे ईस्वी को एक कहा गया दिया बेह अशुद्ध वर पर्पा समवरणे स्त्रीष्टाब्द reformer वही सम्राट् ग्लीनिंग्स आजी विक्स x स्वयं गया है । भगद्भजन भगवद्भजन यह नोट पृ० १४०की ८वीं है, यहांकी उधर पढ़ें कको गों के यदि माना उन ईस्वी पूर्व कोर X X x x X दिया गया वह वैर समवसरणेPage Navigation
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