Book Title: Apbhramsa Bharti 2001 13 14
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 39
________________ 26 अपभ्रंश भारती 13-14 सीयल छाटा-लयाहर-सयमणोहर हरिवंसुब्भेण हरिविक्कमसारवलेण रणयं । दीसइ देवदारु-तलताली-तरल-तमाल-छण्णयं ।। लवलि-लवंग लउय-जंबु-वर अंब-कवित्थ-रिद्धयं । सामलि-सरल-साल सिणि-सल्लइ-सीसव-समि-समिद्धयं ।। चंपय-चूय-चार-रवि-चंदण-वंदण-वंद सुंदरं । पत्तल वहल-सीयल छाय-लयाहर-सयमणोहरं ।। मंथरमलयमारुयंदोलिय - पायव - पडिय - पुप्फयं ।। केसरिणहर- पहर - खरदारिय - करि - सिभिन्न मोत्तियं । मोत्तियपंति - कंति - धवलीकय सयल दिसा वहतियं ।। खोल्ल - जलोल्ल - तल्ल - लोलंत लोलकोल - उल - भीसणं। वायक - कंक - सेण - सिव - जंबुअ - धूय विमुक्कणीसयं ।। मयगय - मय - जलोह -कय कद्दम संखुब्भंत वणयरं । फरिय फणिंदफार - फणिंद - मणिगण - किरण - करालियांबरं ।। गिरि-गण-तुंग-सिंग-आलिंगिय-चंदाइच्च-मंडलं। तत्थ भयावणे वणे दीसइ णिम्मलं सीयलं जलं ।। घत्ता- णामें सलिलावत्तु लक्खिज्जइ मणहरु कमल सरु । णाई सुमित्तें मित्तु अवगाहिउ णयणाणंदयरु ।।1।। रिट्ठणे मिचरिउ 2.1।। - हरिवंश में उत्पन्न तथा सिंह के पराक्रम के समान सारभूत बलवाले वसुदेव को महावन दिखाई देता है। वह वन देवदार ताल-ताली और तरल तमाल वृक्षों से आच्छादित है, लवली लता, लवंगलता, जामुन, श्रेष्ठ आम और कपित्थ वृक्षों से समृद्ध है। शाल्मलि, अर्जुन, साल, शिनि, सत्यकी, सीसम और शमी वृक्षों से सम्पन्न है। चम्पा, आम्र, अचार, रविचन्दन, और वन्दन वृक्षों के समूह से सुन्दर है। जिनमें बहत से पत्ते हैं ऐसे ठण्डी छायावाले सैकड़ों लतागृहों से जो सुन्दर है, जिसमें धीमी-धीमी मलय हवा से आन्दोलित वृक्षों के पुष्प . गिरे हुए हैं, जिसमें पुष्पसमूह सहित भ्रमरावली द्वारा पथिकों को झका दिया गया है, जिसमें सिंहों के नखों के द्वारा तीव्रता से फोड़े गए हाथियों के सिरों से मोती बिखेर दिए गए हैं, जो गहवरों के जल-समूह में हिलते हुए सुअरों के समूह से भयंकर है, जिसमें वायसों, बगुलों, सेनों, सियारों और सियारिनों द्वारा शब्द किया जा रहा है, जिसमें मदगजों के मदजल समूह की कीचड़ से वन्य प्राणी कुपित हो रहे हैं, जिसका आकाश काँपते हुए नागों से विशाल और नागराजों की फणमणियों की किरणावलियों से भयंकर है, जिसने पर्वत समूह के ऊँचे शिखरों से चन्द्रमा और सूर्य के मण्डलों को आलिंगित किया है, ऐसे उसे भयावह वन में उसे स्वच्छ और शीतल जल दिखाई देता है।।1।। ___घत्ता - सलिलावर्त नामक सुन्दर कमल-सरोवर दिखाई देता है। उसने उसका ऐसा अवगाहन किया जैसे सुमित्र ने नेत्रों को आनन्द देने वाले मित्र का अवगाहन किया है। अनु. - डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन

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