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अपभ्रंश भारती 13-14 जालाकांठी - जलाकांठी गलइ सुहावइ
. आनु कि ........... ए इ ता-करि (ए ?) वह ॥ एकावलि - एकावलि (गल ?) एक बाधी सइ र इसी भावइ। जवाधताह - जवाधताह काम्ब-दुमहं (?) आलवालु जइसी भावइ॥ नायिकाएँ ग्रन्थित तागा भी गले में पहनती हैं -
गंठिआ-तागउ गलेहि सो भूसणु।
जो देखि वंडिरो को न (?) (मू) झइ जणु ॥ मुक्ता के सदृश चमकता हुआ हार पहनकर सुशोभित होती थीं -
पासे सोना-जालउ कीजइ।
मोत्तासर-सोह तें हूँ हसीजइ॥ प्रो. भायाणी ने कंठ के आभूषणों का सभी नायिकाओं का तुलनात्मक विवरण निम्न प्रकार प्रस्तुत किया है -
नायिका
तागु
एकावली
जलाकांठि कांठी
पुलु की कांठी
जलाली कढी
सोना जालु गंठिया तागउ
तरीउ हारू ,
चूड़ा
सुत हारा हाथ के आभूषण हाथों के आभूषणों में सोने के चूड़े का उल्लेख किया गया है।
न पुणु जवहीं ते हाथ हीं पायहीं।
पइ ह्रिआ सोना-केरा चूड़ा। पाँव के आभूषण . पाहंसिया - पाइहिं पाहंसि निरू चॉगा।
लोण चि आनिक (उ) माड़ी ऑगा॥ 'राउलवेल' में वस्त्राभूषणों का अधिक उल्लेख है किन्तु शृंगार-प्रसाधनों का उल्लेख