Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 11
________________ (vi) अपभ्रंश भारती (६) अपभ्रंश साहित्य के ज्ञान से सम्बन्धित सर्टीफिकेट परीक्षा-डिप्लोमा परीक्षा समारंभ करना और उनका पाठ्यक्रम बनाना, तदनुरूप पाठ्यसामग्री का संकलन करना और उसका प्रकाशन करना। (उ) पत्राचार के माध्यम से सर्टिफिकेट और डिप्लोमा के प्रशिक्षण की व्यवस्था । (ऊ) सर्टीफिकेट और डिप्लोमा परीक्षामों को यथासंभव विश्वविद्यालय अनुदान समिति तथा अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा मान्य कराना। (ए) अपभ्रंश भाषा साहित्य में स्नातक, स्नातकोत्तर एवं एम. फिल. की व्यवस्था करना । उनके अनुरूप पाठ्यसामग्री का संकलन करना और उनका प्रकाशन करना। (ऐ) शोध-पत्रिका अपभ्रंश-भारती का प्रकाशन । शोष और प्रयोजना प्रकोष्ठ (अ) 1. अपभ्रंश भाषा 2. अपभ्रंश साहित्य और 3. अपभ्रंश व्याकरण सम्बन्धी अध्ययन और प्रयोजनामों की व्यवस्था करना । (प्रा) अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रयोजनामों का शुभारंभ करना । (इ) विश्वविद्यालयों से अपने निदेशक को मान्यता दिलाने का प्रयत्न करना। (ई) विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में होनेवाले इस प्रकार के शोधकार्य में सहायता की व्यवस्था करना । 3. पांडुलिपि प्रकोष्ठ (अ) अपभ्रंश भाषा की यथाप्राप्य पाडुलिपियों का संग्रह करना । (मा) उनका नव वैज्ञानिक प्रणाली के आधार पर पाठालोचन की व्यवस्था करना, प्रादि । उपलब्धियां 1. अपभ्रंश साहित्य अकादमी के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा मादि के पाठ्यक्रम प्रारंभ हो चुके हैं। 2. विश्वविद्यालयों के अध्यापकों का एक प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न हो चुका है। 3 विभिन्न स्थानों में प्राप्य अपभ्रंश पांडुलिपियों की फोटोस्टेट प्रतियों का संग्रह प्रारंभ किया जा चुका है। अपभ्रंश साहित्य में विश्वविद्यालय के बी.ए., एम.ए., एम. फिल. तथा अकादमी के लिए सर्टीफिकेट, डिप्लोमा और हायर डिप्लोमा के राष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम निर्मित कर लिये गये हैं जिन्हें शैक्षणिक परिषद् द्वारा अनुमोदन प्राप्त है। 5. पाठ्यक्रम की प्रतियां विभिन्न विश्वविद्यालयों को भेजी जा चुकी हैं । 6. पाठ्यक्रम के अनुरूप संकलन तैयार किये जा रहे हैं। 7. प्रारंभिक व्याकरण का प्रकाशन मुद्रणाधीन है । 8. शोध-पत्रिका 'अपभ्रंश-भारती' का प्रथम अंक प्रकाशित होकर प्रापके हाथों में है।

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