Book Title: Angakaradi Laghu Bruhad Vishayanukramau
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

Previous | Next

Page 19
________________ आचाराङ्गे बृहत्क्रमः॥ ॥१७॥ ८३ नि० चक्षुःस्पर्शागतपृथिवीशरीरकथ- ९८ नि० पृथ्वीकायस्याङ्गोपाङ्गरहितत्वेऽपि | १६ अन्धादिवत्पृथिवीसमारम्भे प्रवृत्त- ना नोपसंहारः, शेषाणामाज्ञाग्राहिता वेदनाऽस्तित्वम् | मतेरहितादि भोग्यफलप्राप्तिः ३७ का-४ नि० लक्षणद्वारे उदयलेश्याभेदाः (११) ९९ नि० वधद्वारे कुतीर्थिकस्वरूपम् । | १८ पृथिवीदण्डविरतो मुनिः ३९ ८५ नि० शरीरास्थिदृष्टान्तेन कठिनपृथि १०० नि० दृष्टान्तगर्भ कुतीर्थिकस्वरूपनि- | ॥ द्वितीय उद्देशकः ॥ .गमनम् | १०६ नि० अप्कायद्वाराणि भेदपरिमाणोवीशरीरे चेतनत्वम् ३१ १०१ नि०कृतकारितानुमतिभिर्वधः ८६-८८ नि० पृथिवीकायपरिमाणम् पभोगशस्त्रलक्षणेषु विशेषः १०२ नि० पृथिवीकायवधे निदानिदाभ्यां | १०७-१०८ नि० अप्कायस्य भेद८९ नि० क्षेत्रकालयोः सूक्ष्मवादरत्वम् ३२ | तदाश्रितान्यदृश्यादृश्यजीववधप्रदर्शनम् नानात्वं, बादरे पञ्च शुद्धोदकाद्याः ४० ९०नि० कालतः पृथ्वीकायपरिमाणम् | १०३ नि० पृथ्व्या वधे तनिश्रितानां सूक्ष्मा- १०९ नि० अपकायपरिमाणद्वारम् ९१ नि० पृथिवीकायानां परम्परमवगाहः । दीनां वधः | ११०नि० अप्कायलक्षणद्वारम् ९२-९३ नि० चक्रमणादिभि (१६)- १०४-१०५नि पृथ्वीवधविरता १११ नि० अएकायोपभोग ७)द्वारम् ४१ | । मनुष्याणां पृथ्व्या उपभोगः गुप्त्यादिमन्तश्चानगाराः | ९१२ ,, अप्कायवधप्रवर्तने हेतुः ९४ नि० सुखार्थे परदुःखोदीरकत्वम् १४ पृथ्वीहिंसका आर्तपरियूनादिमन्तः | ११३ ,, अपकाये शस्त्रद्वारम् ९५ नि० शस्त्रद्वारे हलकुलिकादिसमास- | १५ असङ्ख्येयजीवसङ्घातरूपा पृथिवी- | (उत्सिञ्चनादि ६) द्रव्यशस्त्रप्रतिपादनम् ३३ तिप्रदर्शनम् | ११४ नि० विभागतो द्रव्यभावशस्त्रम् ४२ ॥९६ नि० विभागद्रव्यभावशस्त्रप्रतिपादनम् १६ कृतकारितानुमतिभिः पृथिवीसमा- | ११५ ,, पृथिवीवदपकायस्य शेषद्वाराणि ९७ नि० पृथ्वीकाये वेदनाः रम्भे प्रवृत्तिप्रदर्शनम् | १९ अनगारखरूपम् ॥१७॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164